दुर्ग। कोरोना के मद्देनजर इस दफा त्योहारों का स्वरूप काफी बदल गया है। दुर्गा पंडाल और गरबा को लेकर प्रशासन की पाबंदी के बाद अब छठ पूजा भी सामूहित स्तर पर आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया गया है। इस बाबत दुर्ग प्रशासन की तरफ से समाज प्रमुखों की बैठक बुलायी गयी थी, जिसमें इस बात का निर्णय लिया गया कि इस बार तालाब व घाटों में सामूहिक स्तर पर छठ का आयोग नहीं होगा, बल्कि लोग अपने-अपने घरों में प्रतीकात्मक तालाब बनाकर भगवान सूर्य की अराधना करेंगे।
हालांकि इससे पहले अंबिकापुर सहित कुछ अन्य जिलों में भी सामूहिक स्तर पर छठ घाट पर पूजा आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया जा चुका है। आपको बता दें कि 20 नवंबर को पूरे देश में छठ पूजा मनाया जायेगा।
आज बुलायी गयी समाज प्रमुखों की बैठक में अलग-अलग समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें सर्व सम्मिति से इस बात का निर्णय लिया गया कि तालाबों और घाटों में छठ पूजा का आयोजन नहीं किया जायेगा। इससे पहले भी कई अन्य जिलों में छठ पूजा को लेकर गाइडलाईन जारी कर दी गयी है। अंबिकापुर के कलेक्टर संजीव कुमार झा ने इससे पहले ही छठ पूजा को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी थी, जिसमें तालाबों, नदी व घाटों में छठ पूजा आयोजित करने का निर्णय लिया गया था।
प्रशासन के इस फैसले का ज्यादातर छठ समितियों ने समर्थन किया है, और कोरोना के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए वृहद रूप से घाटों का निर्माण कर सार्वजनिक रूप से छठ पूजा नहीं मनाने का फैसला लिया है। वहीं कुछ समितियों ने प्रशासन के इस फैसले का विरोध भी किया है। उनका कहना है कि प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर छठ पूजा सार्वजनिक रूप से घाट पर मनाने की मांग करेंगे।