रायपुर। प्रदेश के रसूखदार अधिकारियों को एसीबी की धौंस दिखाकर उगाही करने वाले आरोपियों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति होने की जानकारी सामने आ रही है। एसीबी के हत्थे चढ़े इन तीनों आरोपियों ने करोड़ों रुपए वसूल किए हैं तो कार्रवाई के नाम पर धमकाकर उनकी अचल संपत्तियां भी हड़प ली है। एएसआई के नाम पर एक बंगला बनाने का पता चला है। पुलिस अब सस्पेंड एसआई और कथित आरटीआई एक्टिविस्ट के बैंक खातों की छानबीन में जुट गई है।
एसीबी के मुताबिक पहले मिली शिकायत की जांच करते हुए आरोपी बर्खास्त सब इंस्पेक्टर सत्येंद्र सिंह वर्मा, एएसआई विनोद वर्मा और साथ ही एक आरटीआई एक्टिविस्ट व कथित पत्रकार राजेश तराटे को काफी लंबे समय से सर्विलांस में रखा गया था। सस्पेंड होने के बाद भी एसआई और एएसआई कई लोगों से वसूली करने में लगे थे। एएसआई वर्मा ने रायपुर शहर के एक रिहायशी इलाके में दो साल पहले ही बड़ा बंगला बनवाया। इसमें करोड़ रुपए खर्च किए। उगाही की शिकायत मिलने के बाद जब उसे सर्विलांस में लिया गया, तब इसके बारे में पता चला। विभागीय कामकाज से दूर रहकर भी मोटी कमाई की खबरें बाहर आई और उसके साथ जुड़ने वाले साथियों का नेटवर्क खंगाला गया। एसीबी ने संकेत दिए हैं कि लोगों को डरा धमकाकर बनाई गई प्रापर्टी नियमानुसार सीज की जाएगी। दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर संपत्ति का ब्योरा जुटाया जा रहा है।
एसीबी को जांच के दौरान पता चला कि आरोपी एसआई सत्येंद्र सिंह अभनपुर में पदस्थ रहते हुए रिश्वतखोरी के मामले में पकड़ा जा चुका है। रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद विभागीय जांच में दोष सिद्ध होने पर उसे बर्खास्त भी कर दिया गया। आपराधिक मामला दर्ज होने पर एसआई को जेल भी भेजा गया था। पुलिस थानों में नामजद रिपोर्ट होने के बाद से इधर-उधर छिपने के लिए ठिकाने की तलाश में था कि एसीबी ने अपने घेरे में फंसा लिया।