रायपुर। राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल के बीच पड़ रही दिवाली में पटाखों का शौक पूरा नहीं किया जा सकता। ग्रेंड न्यूज ने पहले ही इस तथ्य को लेकर लगातार खबरों का प्रकाशन किया है, साथ ही यह भी बताया था कि यदि कोरोना संक्रमण काल में पटाखों के फोड़े जाने का सिलसिला अनवरत जारी रहेगा, तो इसके दुष्परिणाम किस तरह से सामने आ सकते हैं।
इस विषय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिबंध को लेकर विचार किए जाने की बात कही थी, जिसे पटाखा फोडे़ जाने की छूट दिए जाने की मौन स्वीकृति मान ली गई थी, जबकि मुख्यमंत्री बघेल ने यह कहा था कि इस विषय को लेकर विचार किया जा रहा है। अंततः निर्णय सामने आ गया है और त्यौहार के मौके पर प्रदेश की जनता को निराश ना करते हुए केवल दो घंटे पटाखा जलाए व फोडे़ जाने की अनुमति प्रदान की गई है।
क्यों जरूरी है संयम, समझे
कोरोना वायरस सबसे पहले नाक और मुंह के जरिए शरीर में दाखिल होकर फेफड़े पर हमला करता है। इस वायरस के शरीर में दाखिल होने के बाद सांस लेने में इंसान को परेशानी होने लगती है। पटाखों के धुंए का सीधा असर भी फेफड़ों पर ही होता है, जो बच्चों और बुजुर्गों को आसानी से अपनी जद में ले सकता है। ऐसे में कोरोना वायरस को सुगम संवाहक मिल जाएगा और वह बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। लिहाजा इस साल दिवाली को संयमित रहकर मनाने में भी भलाई नजर आती है।
तेजी से बढ़ रहा ठंड
प्रदेश में शीत ऋतु का प्रभाव भी नजर आने लगा है। बीते 4 दिनों के भीतर दिन और रात दोनों का पारा लगातार नीचे गिरा है। प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में ठंड की गति तेज हो चली है, जिसके चलते मध्य भाग में भी ठंडक तेजी से महसूस होने लगी है। शीत ऋतु में फेफड़ों का सकुचन दर आम दिनों के मुकाबले बढ़ जाता है, ऐसे में कोरोना वायरस इंसान को ज्यादा प्रभावित करता है, लिहाजा बार-बार कहा जा रहा है कि ठंड में कोरोना वायरस से बचकर रहना ही ज्यादा कारगर सिद्ध होगा।