रायपुर। राजधानी में जीएसटी की रकम वापस लेने के लिए फर्जी कंपनियों के बोगस बिलों का बड़ा खेल फिर फूटा है। सेंट्रल और राज्य जीएसटी ने पिछले तीन माह से जीएसटी चोरी के मामलों पर जांच बिठा रखी है और इस दौरान रायपुर और नजदीकी शहरों की 100 से ज्यादा फर्जी कंपनियों के बोगस बिल पकड़े गए हैं।
अफसरों ने इन कंपनियों में से अधिकांश के बारे में जानकारियां जुटा ली हैं और कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। यही वजह है कि पिछले महीने अधिराज सीमेंट के संचालक शुभम सिंघल को 12.53 करोड़ की जीएसटी चोरी और इस माह मिथिलेश तिवारी को 23.31 करोड़ की चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। भास्कर को कुछ मामलों की जांच रिपोर्ट भी मिली है। इनमें से एक अधिराज सीमेंट से संबंधित है जिसमें कहा गया है कि इस कंपनी ने फर्जी फर्म यूनाइटेड इस्पात रायपुर से जारी 82.10 करोड़ के बोगस बिलों पर करीब 12.53 करोड़ का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल किया था। यही नहीं, मिथिलेश ने दो फर्जी फर्मों के बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट की चोरी की, यह बात भी जांच में आ गई है।
इस बात की जानकारी मिली है कि सबसे ज्यादा सरिया, इस्पात, स्टील, सीमेंट, टाइल्स, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स आयटम के फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं। बड़े कारोबारी इन बिलों को कुल बिल की कीमत का 10 फीसदी रकम देकर खरीद लेते हैं। इस तरह के बिलों को खरीदने के बाद यह फायदा होता है कि कंपनी इस बात का दावा करती है कि उसने जीएसटी पहले ही चुका दिया है इसलिए अब उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया जाए। यह रकम करोड़ों रुपए में वापस होती है। इसलिए बोगस बिलों का धंधा बेहद चल रहा है। शहर के कई बड़े बाजार इसकी पहचान भी बन गए हैं जहां छोटी-छोटी दुकानों और दफ्तरों में फर्जी बिल बनाए जा रहे हैं।
बड़े रिटर्न पर अफसरों की नजर
सेंट्रल जीएसटी के अफसरों का दावा है कि फर्जी बिल का धंधा करने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। विभाग ने केवल इसी साल 100 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी पकड़ ली है। इसमें से करीब 47 करोड़ रुपये की वसूली भी कर ली गई है। यानी यह रकम वापस सरकारी खजाने में जमा हो गई है। विभाग की ओर से लगातार सभी तरह के रिटर्न की जांच की जा रही है। इसमें खासतौर पर ऐसे रिटर्न की पहचान की जाती है जिसका कारोबार एकदम से लाखों-करोड़ों रुपए में बढ़ जाता है। इसलिए ऐसी कंपनियों की जांच पहले की जाती है। अधिकतर फर्जी कंपनियां आधार और पैन कार्ड देकर बनाई जा रही है। यह दोनों दस्तावेज तो असली होते हैं लेकिन कंपनी का दफ्तर, कारोबार, कर्मचारी सभी फर्जी होते हैं। ऐसी कंपनियां मौकों पर नहीं मिलती हैं।
कारोबार लौट रहा पटरी पर
सेंट्रल जीएसटी के संयुक्त आयुक्त श्रवण बंसल ने बताया कि एक समय में 3 लाख से ज्यादा का रिटर्न जमा करने के लिए जीएसटीएन ने पोर्टल की क्षमता में सुधार किया है। विभाग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा राजस्व जमा हो सके। पिछले साल की तुलना में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में 14%, 31% और 22% की वृध्दि दर्ज की गई है। जीएसटी संग्रह के मामले में छत्तीसगढ़ देशभर में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल है। वित्तीय साल 2019-20 में जीएसटी कलेक्शन 5001 करोड़ अक्टूबर 2019 तक था। कोरोना काल होने के बावजूद 2020-21 में अक्टूबर तक कलेक्शन 4859 करोड़ रुपए का हो गया है। इससे पता चलता है कि राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था वापस उछाल पर आ रही है।
बोगस बिल का कारोबार मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में
जीएसटी के फर्जी बिल बनाने का कारोबार छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में भी फैला हुआ है। छत्तीसगढ़ के सिंडीकेट का जाल इन राज्यों में भी मौजूद है। लॉकडाउन के पहले इंदौर, भोपाल, जयपुर और भुवनेश्वर में जीएसटी के छापे में इस बात का खुलासा हो चुका है कि छत्तीसगढ़ के बने बिलों को इन राज्यों में भी खपाया जा रहा था। इसमें कोयला कारोबारियों का एक बड़ा रैकेट भी फूटा था। इसमें कई कारोबारियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। शहर के ही कई बड़े कांप्लेक्सों में फर्जी बिल बनाने के दफ्तर खुले हुए हैं। बाहर से देखने में इस कारोबार का पता ही नहीं चलता है।
राज्य जीएसटी विभाग भी सक्रिय, अब पड़ेंगे कई जगह छापे
राज्य जीएसटी विभाग ने भी दिवाली के बड़े लेन-देन की जांच शुरू कर दी है। खासतौर पर रियल एस्टेट और सराफा के बड़े कारोबारियों और कैश भुगतान करने वालों के रिटर्न की जांच शुरू कर दी गई है। मकान-जमीन की खरीदी के लिए बड़े बिल्डरों के ओर से कई तरह के ऑफर दिए गए थे, जिसकी वजह से भी रियल एस्टेट में बड़ा बिजनेस हुआ है। राज्य जीएसटी विभाग में अफसरों के बीच आपसी खींचतान अब खत्म हो रही है। यही वजह है कि दिवाली के बाद ऐसे मामलों में छापेमारी तेज की जाएगी। जीएसटी विभाग की आयुक्त ने इस मामले में इंफोर्समेंट सेल के अफसरों को कई तरह के निर्देश भी दिए हैं।