इस बार 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। हालांकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखाई न देने के कारण इसका प्रभाव और सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा। शास्त्रानुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग होने से जप, तप, दान व धर्म-कर्म का लाभ कई गुणा अधिक प्राप्त होता है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को 30 नवंबर (सोमवार) को इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है। इस बार चंद्र ग्रहण वृषभ राशि में लगने जा रहा है। पंचांग के अनुसार इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं। पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक और उपच्छाया। भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण दोपहर एक बजकर चार मिनट से शाम 5.22 बजे तक रहेगा।
दरअसल, यह दुनिया के दूसरे हिस्सों में देखा जा सकेगा। ऐसे में भारत में दृश्य न होने के कारण चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा। ज्योतिषाचार्य मोहित उनियाल का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन स्नान-दान के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग पूर्णिमा को और भी खास बना रहा है।
ज्योतिष के अनुसार, उपच्छाया चंद्र ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। हर चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य कहा जाता है।
उसके बाद ही चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना उसकी उपच्छाया में आकर ही बाहर निकल जाता है। तब उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगता है।