Late Wajid Khan wife on life in an inter caste marriage: साल 2020 हिंदी सिनेमा के लिए काल साबित हुआ। इस साल कई दिग्गज कलाकारों ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनमें से एक दिग्गज गायक और संगीतकार वाजिद खान भी हैं। वाजिद खान का इस साल जून में इंतकाल हो गया था। अचानक हुए उनके इंतकाल ने हर किसी को हैरान कर दिया था। अब वाजिद खान की पत्नी कमालरुख खान ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर सभी को हैरान कर दिया है।
दरअसल इन दिनों देशभर में लव जिहाद और धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर चर्चा हो रही है। ऐसे में इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वाजिद खान की पत्नी कमालरुख खान ने अपनी प्रेम कहानी और उनके परिवार के साथ अपने खराब संबंधों को याद किया और भावुक पोस्ट लिखा है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ‘एक बार फिर से धर्मांतरण पर चर्चा हो रही है। इस बार सरकार भी उत्साहित है। इसके बाद कमालरुख खान ने अपनी और वाजिद खान की प्रेम कहानी और उनके परिवार के बारे में विस्तार से लिखा है।
कमालरुख खान ने लिखा, ‘मेरा नाम कमालरुख खान है और मैं दिवंगत संगीतकार वाजिद खान की पत्नी हूं। उनसे शादी करने से पहले मैं उनके साथ 10 साल के रिश्ते में थी। मैं पारसी और वह मुसलमान थे। हम वही थे जिसे आप “कॉलेज स्वीटहार्ट्स” कहेंगे। हमने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की। यही कारण है कि धर्मांतरण विरोधी बिल की बहस के बीच यह बहुत दिलचस्प है। मेरी परवरिश ऐसे पारसी परिवार में हुई है जहां सभी लोग पढ़े-लिखे और खुलकर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात कह सकते हैं।’
कमालरुख खान ने आगे लिखा, ‘हालांकि, शादी के बाद यही स्वतंत्रता, शिक्षा और लोकतांत्रिक मूल्य प्रणाली मेरे पति के परिवार के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई थी। उन्होंने पढ़ी-लिखी और आजाद महिला को स्वीकार नहीं किया और धर्मांतरण का दबाव बनाने लगे। मैं हर किसी धर्म का सम्मान करती हूं, लेकिन इस्लाम में परिवर्तित होने के मेरे प्रतिरोध ने मेरे और मेरे पति के बीच की दूरियों को काफी बढ़ा दिया था। यहां तक कि इतना मुश्किल हो गया था कि हमारे पति-पत्नी के रिश्ते खराब हो गए। हमारे बच्चों के लिए पिता बनने की उनकी क्षमता थी।’
कमालरुख खान ने आगे लिखा, ‘वाजिद एक प्रतिभाशाली संगीतकार थे जिन्होंने शानदार धुन बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। मेरे बच्चे और मैं उन्हें बहुत याद करते हैं और हम चाहते हैं कि उन्होंने एक परिवार के रूप में हमारे साथ समर्पित समय बिताया होता। धार्मिक पूर्वाग्रहों से रहित, जिस तरह से उन्होंने अपनी धुनें बनाई थीं। हमें उनके और उनके परिवार की धार्मिक कट्टरता के कारण कभी परिवार नहीं मिला।’
उन्होंने आगे लिखा- आज भी उनके अचानक निधन के बाद उनके परिवार का उत्पीड़न जारी है। मैं अपने बच्चों के अधिकारों और विरासत के लिए लड़ रही हूं, जो उनके द्वारा बेकार कर दिए गए हैं। यह सब मेरे द्वारा इस्लाम कबूल न करने के खिलाफ एक नफरत है।’ कमालरुख खान ने अंत में कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए ताकि मेरी जैसी महिलाओं के लिए संघर्ष को कम किया जा सके जो अंतरजातीय विवाह में धर्म की विषाक्तता से लड़ रही हैं।