कोरोना के खिलाफ जारी जंग में जिस वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार हो रहा था, वह बनकर तैयार है। दुनिया की पहली प्रमाणिक वैक्सीन, कोरोना के खिलाफ 95 फीसदी असरदार और सुरक्षित है, इस पर ब्रिटेन की हेल्थ एजेंसी ने अपनी मुहर लगा दी है। इस वैक्सीन का उपयोग विश्वभर में किया जाएगा। इसका सबसे बड़ा लाभ ब्रिटेन के अलावा दुनियाभर को मिल पाएगा, पर भारत में यह वैक्सीन कारगर साबित नहीं हो सकता।
कोरोना ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। 6 करोड़ 40 लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। 14 लाख 81 हजार लोगों की जान जा चुकी है। भारत में भी 95 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं और 1 लाख 38 हजार लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। तब पूरी दुनिया के लिए राहत की खबर है, पर भारत को इसका लाभ बहुत ही कम मिल पाएगा।
प्रमाणिकता पर मुहर
दुनिया में कोरोना की पहली वैक्सीन आ चुकी है जिस पर सरकारी एजेंसी की मुहर है। ब्रिटेन में फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को आम लोगों को देने की मंजूरी मिल गई है। इसे अमेरिका की कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने मिलकर बनाया है। ये वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 95 फीसदी तक असरदार है। ब्रिटेन में अगले कुछ दिनों में आम लोगों को वैक्सीन देने की शुरुआत हो जाएगी। वैक्सीन को लाइसेंस देने वाली ब्रिटेन की मेडिसिन और हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी ने इसे सुरक्षित करार दिया है।
ब्रिटेन ने वैक्सीन की चार करोड़ डोज का ऑर्डर दे रखा है। ये 2 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए काफी हैं। हर किसी को वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी। पहला डोज लेने के 21 दिन बाद दूसरा डोज दिया जाएगा। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने उम्मीद जताई है कि अगली गर्मियों तक ब्रिटेन में हालात काफी बेहतर हो जाएंगे।
भारत के अनुकुल नहीं
इस वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है और इस तापमान को वैक्सीन के लाने ले जाने और वैक्सीन दिए जाने तक बनाए रखना पड़ता है। वहीं एमआरएनए तकनीक बेहद मुश्किल होती है, लिहाजा इस तरीके से बनी वैक्सीन काफी महंगी होती है। ब्रिटेन जैसे विकसित और ठंडे देश के लिए ऐसे इंतजाम करना और इतना खर्च उठाना मुश्किल नहीं। ऐसे में वैक्सीन के आने की खबर जहां ब्रिटेन और दुनिया के कई देशों के लिए अच्छी है। वहीं जानकारों के मुताबिक ऐसी वैक्सीन भारत की परिस्थितियों में कारगर नहीं है।