Grand NewsGrand News
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • मनोरंजन
  • खेल
  • धर्म
  • वायरल वीडियो
  • विदेश
Search
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Reading: कवर्धा में मिला दुर्लभ उल्लू, जिसे देखने से होती है लक्ष्मी की वर्षा, रेस्क्यू टीम ने बचाया
Share
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
Grand NewsGrand News
Search
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • मनोरंजन
  • खेल
  • धर्म
  • वायरल वीडियो
  • विदेश
Follow US
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
कवर्धा

कवर्धा में मिला दुर्लभ उल्लू, जिसे देखने से होती है लक्ष्मी की वर्षा, रेस्क्यू टीम ने बचाया

GrandNews
Last updated: 2020/12/05 at 5:45 PM
GrandNews
Share
2 Min Read
SHARE

कवर्धा। जिला अपने प्रकृतिक सुंदरता और दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों, जानवरों के लिए मशहूर है। यहाँ आने वाले पर्यटक भी इसकी तारीफ करते हुए नहीं थकते। आज  चिल्फी वन परिक्षेत्रदो बार्न उल्लू का रेस्क्यू किया है। जो दिखने में बेहद सुन्दर है। धार्मिक मान्यतों के मुताबिक ये उल्लू लक्ष्मी की सवारी है। चिल्फी वन परिक्षेत्र के लोहारा टोला परिसर के कक्ष क्रमांक पी. 328 में पैदल गस्त के दौरान इनको रेस्क्यू किया है।

- Advertisement -

 

- Advertisement -
Ad image
- Advertisement -

- Advertisement -

- Advertisement -

वन्य प्राणी पशु चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा और डॉ. सोनम मिश्रा के नेतृत्व में रेस्क्यू किए गए बार्न उल्लूओं को प्राथमिक उपचार और भोजन व्यवस्था का प्रबंध वन विभाग की टीम द्वारा किया गया है।

बार्न उल्लू दुर्लभ प्रजाति के पक्षी हैं जिनको वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल 3 में स्थान दिया गया है। बार्न उल्लू की औसत आयु 4 वर्ष होती है परंतु ऐसे भी उदाहरण हैं जिसमें बार्न उल्लू 15 वर्ष तक जीवित रहे हैं। कैप्टिव ब्रीडिंग में बार्न उल्लू 20 वर्ष तक जीवित रह जाते हैं।

प्राकृतिक अवस्था में जंगलों में 70 प्रतिशत बार्न उल्लू अपने जन्म के प्रथम वर्ष में ही प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। राज्य तथा देश के विभिन्न भागों में  ग्रामीण अंचल में  ऐसी मान्यता है कि बार्न उल्लू को पवित्र मानते हैं, जिससे घर तथा गांव में तरक्की, खुशहाली तथा उन्नति होती है।

बार्न उल्लू को तथा उनके शरीर के विभिन्न अंगों को तंत्र मंत्र में भी उपयोग किया जाता है। भोरमदेव अभ्यारण के चिल्फी परिक्षेत्र में रेस्क्यू किए गए बार्न उल्लू प्रजाति के दोनों पक्षियों को बचाने में प्रशिक्षु भारतीय वन सेवा के अधिकारी गणेश यू.आर., परिक्षेत्र सहायक चिल्फी पूर्व देशमुख तथा स्थानीय वनरक्षक का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

TAGGED: कवर्धा, दुर्लभ प्रजाति, बार्न उल्लू, रेस्क्यू
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Copy Link Print
Previous Article प्रदर्शन के दौरान किसानों ने मनोरंजन के लिए बनाया डीजे, सोशल मिडिया में लोगों ने की तारीफ
Next Article SHOCKING NEWS-नि:शक्तजन पहुंचा रहे समाज कल्याण विभाग को नुकसान, लोन लेकर नहीं चुका रहे किश्त, 4 करोड़ के किश्त में केवल 71 लाख की वसूली
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest News

Raipur : ब्राह्मण पारा वार्ड में पेयजल की समस्या को लेकर वार्ड अध्यक्ष सुयश शर्मा ने निगम कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन, निगम मुख्यालय का घेराव की दी चेतावनी
Grand News May 23, 2025
IND vs ENG: इंग्लैंड दौरे के लिए टीम इंडिया का ऐलान, आयुष म्हात्रे बने कप्तान, वैभव सूर्यवंशी को भी मिली जगह
Cricket खेल May 23, 2025
CG Police Transfer : एसएसपी ने 7 पुलिसकर्मियों का किया तबादला, देखें लिस्ट
Breaking News छत्तीसगढ़ बिलासपुर May 23, 2025
CG NEWS: “बारिश में नहीं भीगा जोश, तिरंगे संग गूंजा देशभक्ति का हुंकार —गरियाबंद की ऐतिहासिक तिरंगा यात्रा बनी राष्ट्र गर्व का प्रतीक”
Grand News गरियाबंद छत्तीसगढ़ May 23, 2025
Follow US
© 2024 Grand News. All Rights Reserved. Owner - Rinku Kahar. Ph : 62672-64677.
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?