नई दिल्ली। यूएन ने एक अहम फैसला लिया है जिसके तहत (गांजा) को खतरनाक मादक पदार्थों की लिस्ट से हटा दिया गया है। भारत ही नहीं, 27 से ज्यादा देशों ने इसके लिए हुई वोटिंग में इसके पक्ष में वोट दिया। पिछले 59 सालों गांजा सख्त पाबंदियों वाली लिस्ट में था। UN इस फैसले से गांजे के चिकित्सीय गुणों पर होने वाले शोध में आसानी होगी।
डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की सिफारिश के बाद ही उनके विकल्पों पर चर्चा की थी जिसके बाद फैसले पर मुहर लगा दी है दरअसल भांग को प्रतिबंधित मादक पदार्थों की लिस्ट से निकाले जाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने मतदान भी कराया था इसमें 27 देशों ने भांग को लिस्ट से हटाए जाने के पक्ष में वोट दिए जबकि 25 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 3 दिसंबर को भारत ने गांजे को को खतरनाक मादक पदार्थों की लिस्ट से हटाने के पक्ष में मदान किया। भांग या गांजे के औषधीय गुणों को देखते हुए लंबे समय से इन पर पाबंदियों में ढील देने की मांग हो रही थी। इसी के मद्देनजर UN के कमीशन ऑफ नारकोटिक ड्रग्स के 63वें सालाना सेशन में इस पर वोटिंग कराई गई। इस पर 53 देशों ने वोट डाले। एक देश यूक्रेन एब्सेंट रहा। 27 देशों ने कैनबिस को खतरनाक ड्रग्स की लिस्ट में से हटाने के लिए हां कहा जिसमें भारत के साथ अमेरिका और कई यूरोपियन देश भी शामिल रहे। वहीं, चीन, रूस, पाकिस्तान जैसे 25 देशों ने गांजे पर प्रतिबंध में ढील दिए जाने के प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया।
हालांकि यूएन के कानून के मुताबिक भांग को अब भी गैर मेडिकल इस्तेमाल के तौर पर एक प्रतिबंधित ड्रग ही माना जाएगा जानकारों की मानें तो यूएन के इस फैसले के बाद भांग से बनी दवाओं के इस्तेमाल में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है इसके अलावा भांग को लेकर साइंटिफिक रिसर्च को भी काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। कई देश भी भांग और गांजा का इस्तेमाल को लेकर अपनी पॉलिसी में बदलाव कर सकते हैं आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से भांग और गांजा के मेडिकल फायदों को लेकर चर्चा काफी तेज हुई है ऐसे में फिलहाल 50 से अधिक देशों ने भांग के मेडिकल वैल्यू को समझते हुए इसे किसी ना किसी तरह वैध करार दिया है।
भारत में फिलहाल NDPS एक्ट के तहत कैनबिस को रखना, बेचना या यूज करना दंडनीय अपराध है। अब ये देखना है कि UN के इस फैसले के बाद भारत भांग या गांजे पर क्या रुख अपनाता है।