कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर से किसान दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इस विरोध प्रदर्शन में अब शहरी वर्ग का साथ भी किसानों को मिल गया है। मंगलवार को भारत बंद के दौरान व्यापारी वर्ग ने किसानों का साथ दिया। किसान यूनियन के नेता कहते हैं कि यह जज्बात का रिश्ता है, दिल का रिश्ता है जो खुलकर सामने आया है। यह एक शुभ संकेत है, जो किसानों का मनोबल बढ़ा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां का कहना है कि शहरी वर्ग ने मंगलवार को अपना भाईचारा दिखाया है, वरना अभी तक तो शहरी व ग्रामीण वर्ग में दरार बढ़ाई जा रही थी और शहरी वर्ग को किसानों के विरोध में खड़ा किया जा रहा था। सुखदेव सिंह का कहना है कि हमें तो 31 सितंबर 2020 के बंद से भी अधिक समर्थन मिला है, किसानों ने शहरों में बंद नहीं करवाया, लोगों ने खुद किसानों को समर्थन दिया है।
किसान तजिंदर सिंह का मानना है कि हमारे साथ हरियाणा में जो हुआ, वह दिल को दर्द देने वाला था। सड़कों को उखाड़ा गया, पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोल दागे गए। किसानों के पास कोई हथियार नहीं थे वह श्रद्धा और प्रेम से दिल्ली की तरफ गए। यह एक बदलाव लाया। शहरी वर्ग की हमदर्दी उसी दिन से किसानों के प्रति शुरू हो गई थी।
पंजाब में मंगलवार को बंद के दौरान जिस तरह से उद्योग, कारोबार, दुकानें सब बंद रहीं, उससे किसानों के बीच बड़ा संदेश गया है कि शहरी लोग किसानों के समर्थन में आ चुके हैं। शहरों से वकील, साहित्यकार व काफी सामाजिक जत्थेबंदियों ने खुलकर बंद का समर्थन किया है।
भारत बंद ने साफ की तस्वीर
हिंद पाक दोस्ती के मंच और पंजाब के वरिष्ठ लेखक सतनाम सिंह मानक का कहना है कि अभी तक तो किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए राजनीति की जा रही थी। आंदोलन को किसानी और गैर किसानी, शहरी व ग्रामीण वर्ग में बांटा जा रहा था। किसानों के विरोध में शहरी वर्ग को खड़ा किया जा रहा था, लेकिन मंगलवार को बंद ने तस्वीर साफ कर दी है। पंजाबी एक मंच पर जमा हो गए। एक भी स्थान पर किसानों ने जबरन बंद नहीं करवाया, शहरी वर्ग ने खुद कारोबार बंद कर भाईचारक सांझ को आगे बढ़ाया है और यही पंजाब का इतिहास है। लिहाजा, पंजाब से निकले किसानी आंदोलन को काफी बड़ा बल मिला है और किसानों में जबरदस्त ऊर्जा का संचार हुआ है।
जो अनाज खाया है, उसका कर्ज अदा करना होगा
वरिष्ठ उद्यमी करणवीर सिंह का कहना है कि किसान और शहरी कारोबारी से पहले वह एक पंजाबी है। पंजाबी होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि जो अनाज हमने खाया है, उसका कर्ज अदा किया जाए। इसलिए न केवल कारोबार व इंडस्ट्री को बंद रखा, बल्कि किसानों के साथ कंधा भी मिलाया।