नई दिल्ली। पिछले एक पखवाड़े से समझौते की राह निकालने की कोशिशों को नजरअंदाज कर किसान संगठनों ने अब तक वार्ता का दरवाजा बंद किए रखा है। ऐसे में सरकार में शीर्ष स्तर से अब पूरे देश को पूरी सच्चाई बताने का अभियान तेज हो गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार दोहराते रहे हैं कि तीनों कृषि कानून किसानों की दशा बदलेंगे। वहीं शुक्रवार को उन्होंने किसानों से वार्ता कर रहे दो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल के प्रेसवार्ता को ट्वीट किया और सभी से आग्रह किया कि उसे देखें।
किसानों की हर आशंका को खत्म करने की तैयारी
इस वीडियो में कृषि मंत्री तोमर ने पूरे घटनाक्रम को सामने रखा और यह बताया कि किसानों की हर आशंका को खत्म करने की भी तैयारी हो गई है। किसानों को बता भी दिया गया है, लेकिन अब तक वह वार्ता के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।
किसान संगठनों का अड़ियल रुख ही वार्ता में सबसे बड़ा अवरोध
किसान संगठनों ने पिछले दिनों में न सिर्फ अपनी मांगों की सूची बढ़ाई है, बल्कि समझौते की बजाय सरकार को झुकाने की वैचारिक लड़ाई लड़ते दिख रहे हैं। सरकार की ओर से तीन दिन पहले उन प्रावधानों की सूची बना कर थी जिससे किसान आशंकित थे। यह माना जा रहा था कि इसके बाद किसान आंदोलन वापस ले लेंगे, लेकिन इन दिनों में भी किसान संगठनों की ओर से वार्ता की कोई तिथि नहीं आई है। यह अड़ियल रुख ही सबसे बड़ा अवरोध है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले भी गुरु नानक देव की भी याद दिलाते हुए कहा था कि जीवन में संवाद हमेशा चलता रहना चाहिए। लेकिन फिर भी किसान संगठन टस से मस नहीं हो रहे हैं।
किसान आंदोलन की सच्चाई देश को बताना जरूरी
ऐसे में देश को सच्चाई बताना सरकार के लिए शायद बहुत जरूरी हो गया है। तोमर और गोयल ने अपने प्रेसवार्ता में स्पष्ट किया कि बार-बार किसानों से वार्ता हुई। किसानों ने ऐसे प्रावधानों की सूची नहीं दी तो सरकार ने ही अपनी ओर से ऐसे प्रावधान ढूंढे जिसे लेकर आशंकाएं हो सकती हैं। आखिरकार सरकार लिखित रूप से एमएसपी की गारंटी देने, पराली, बिजली जैसे मुद्दों पर भी प्रावधान में स्पष्टता लाने, कांट्रैक्ट फार्मिग में किसानों को अदालत तक जाने का अधिकार देने के विषय को लेकर भी किसानों तक पहुंची। इसके अलावा भी किसानों के मन में कोई बात है तो उन्हें सामने आकर बताना चाहिए, लेकिन आंदोलन की राह छोड़ देनी चाहिए।
कानून निरस्त करने की मांग समाधान नहीं, प्रावधान बदलने के लिए सरकार तैयार
तोमर ने कहा कि किसान कानून निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं। जबकि यह समाधान नहीं है। प्रावधान बदलने के लिए सरकार तैयार है। ऐसे में अड़ना उचित नहीं है।