जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बच्चों की मौत के कारण तलाशे जा रहे हैं। गठित कमेटियां रोजाना अस्पताल का निरीक्षण कर रही है। जयपुर से लेकर दिल्ली तक की टीम कोटा आकर मौत के कारणों का पता लगा रही है। लेकिन तीन दिन के बाद भी मौत के कारणों का पता नहीं चला है, ना ही अभी तक किसी की जिम्मेदारी तय हुई है। जबकि पिछले साल दिसम्बर में हुई घटना के बाद बिना जांच के तत्कालीन अधीक्षक को जिम्मेदार मानते हुए तुरंत हटाया गया था।
पिछले साल 25 दिसम्बर के दिन 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। दिल्ली तक बच्चों की मौत की गूंज सुनाई दी थी। राज्य सरकार ने मौत के कारणों की जांच के लिए टीम को कोटा भेजा था। जयपुर से आई टीम, तत्कालीन अधीक्षक डॉक्टर एचएल मीणा को हटाने का फरमान भी साथ लाई थी।
इस साल 10 दिसंबर को 8 घंटे में 9 बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आया। सीएमओ के निर्देश पर गठित टीम कोटा पहुंची। अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। अस्पताल के हालातों पर चिंता जताई। जांच कमेटी को कई खामियां नजर आई। लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। स्थिति यह है कि मौत के आंकड़े भी छुपाए जा रहे हैं। अस्पताल के हालातों के लिए न तो अधीक्षक को जिम्मेदार माना है, न ही शिशुरोग विभागाध्यक्ष को।