कोरोना संक्रमण की स्थिति काबू में रही तो राज्यों की सहमति से 10वीं और 12वीं के छात्रों को 15 दिसंबर के बाद प्रैक्टिकल से जुड़े कार्यो के लिए स्कूल बुलाया जा सकता है। फिलहाल केंद्रीय विद्यालय संगठन ने इसे लेकर एक योजना बनाई है। इसके तहत छात्रों को छोटे-छोटे ग्रुपों में बुलाया जाएगा। इस दौरान उनसे पूरे समय प्रैक्टिकल कार्य ही कराए जाएंगे।
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने यह सक्रियता तब दिखाई है, जब बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आ गई हैं और अब तक छात्रों को प्रैक्टिकल नहीं कराया गया है। यह स्थिति तब है कि बोर्ड परीक्षाओं में थ्योरी और प्रैक्टिकल के लिए अलग-अलग अंक तय हैं। 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में विज्ञान विषयों में थ्योरी की परीक्षा जहां 70 अंक की होती है, वहीं प्रैक्टिकल की परीक्षा 30 अंकों की होती है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय विद्यालयों को इस संबंध में क्षेत्रीय स्तर पर योजना तैयार करने को कहा गया है। बता दें कि इस साल कोरोना संकट के चलते स्कूलों के बंद होने से पढ़ाई तो ऑनलाइन कराई जा रही है, लेकिन प्रैक्टिकल कार्य बिल्कुल भी नहीं हो पाया है।
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के साथ चर्चा में छात्रों ने इस पर चिंता जताई थी। साथ ही बोर्ड परीक्षाओं को मई या जून तक टालने की मांग भी की थी। हालांकि केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान यह जरूर साफ कर दिया था कि परीक्षाएं तो होंगी और पहले जैसी व्यवस्था के तहत ही होंगी। पिछले साल भी कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने बोर्ड परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ा दी थी।