केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने शनिवार को पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) जारी किया। इसमें भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जनसंख्या, स्वास्थ्य और पोषण के बारे में विस्तृत जानकारी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण डाटा का स्रोत है क्योंकि यह कई प्रमुख संकेतकों पर 90 अन्य देशों के जनसांख्यिकी स्वास्थ्य सर्वेक्षण (डीएचएस) कार्यक्रम के बराबर है और इसका उपयोग क्रॉस कंट्री तुलना और विकास सूचकांकों के लिए किया जा सकता है। वर्तमान एनएफएचएस 6.1 लाख सैंपल घरों में आयोजित किया गया है, जिसमें जनसंख्या, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और पोषण से संबंधित संकेतकों पर जानकारी एकत्र करने के लिए घरेलू स्तर पर साक्षात्कार लिए गए।
17 राज्यों और पांच केंद्रशासित प्रदेशों (असम, बिहार, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, केरल, लक्षद्वीप, दादर और नगर हवेली और दमन और दीव) के परिणाम को पहले चरण में जारी किया गया है।
शेष 12 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करने वाले दूसरे चरण को कोविड-19 के कारण स्थगित किया था, इसे नवंबर से फिर शुरू किया गया है और मई 2021 तक इसके पूरा होने की उम्मीद है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि एनएफएचएस-4 (2015-16) में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संकेतकों में पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले चरण वाले राज्यों में प्रजनन दर में गिरावट आई है, गर्भनिरोधक उपयोग में वृद्धि हुई है। सर्वेक्षण में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 12 से 23 महीने के बच्चों के टीकाकरण कवरेज में काफी सुधार पाया गया है। महिला सशक्तिकरण संकेतक (बैंक खाते वाली महिलाओं सहित) में काफी प्रगति हुई है।
इसके अलावा स्वास्थ्य ने मंत्री ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे को चिह्नित करने के लिए एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के निर्माण और सभी के लिए इसकी समान पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता को बढ़ाया है।