भारत में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। ऐसे में देशवासी टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में जिन राज्यों के निवासी 50 साल से ज्यादा उम्र के और अन्य बीमारियों जैसे कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं उन्हें वैक्सीन के ज्यादा डोज (हेल्थकेयर वर्कर्स, आवश्यक कर्मचारी और पुलिस और सुरक्षाबलों के अलावा) मिलने की उम्मीद है।
इसलिए तमिलनाडु को कम आबादी होने के बावजूद बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान की तुलना में वैक्सीन की अधिक खुराक प्राप्त हो सकती है। बिहार की अनुमानित 12.3 करोड़ जनसंख्या तमिलनाडु के 7.6 करोड़ से लगभग 60 प्रतिशत बड़ी है। बिहार में केवल 1.8 करोड़ लोग ही 50 साल और उससे अधिक उम्र के हैं जबकि तमिलनाडु में यह संख्या दो करोड़ है।
सरकार 50 से अधिक आयु वर्ग में लगभग 19.5 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण करने की तैयारी कर रही है। इसका मतलब है कि लगभग 50 साल की आयु वर्ग में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारियों और चार करोड़ मधुमेह रोगियों के अलावा लगभग 26.5 करोड़ लोग होंगे। इसलिए, कोविड वैक्सीन के वितरण में बूढ़ी आबादी वाले राज्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
हालांकि, उत्तर प्रदेश जहां केवल 15 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं, उसे वैक्सीन का सबसे बड़ा शेयर दिया जाएगा क्योंकि राज्य की जनसंख्या ज्यादा है। इसके बाद महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु का नंबर आता है, जहां 50 से अधिक आयु के लोगों की संख्या ज्यादा है। हालांकि जिस राज्य की सबसे ज्यादा आबादी को टीकाकरण की आवश्यकता है उसमें केरल का पहला स्थान है।