जगदलपुर। जिले के निजी अस्पताल एमपीएम की लापरवाही की वजह से महज 22 वर्षीय युवती की जान चली गई है। बीते 12 दिसंबर को उसे उपचार के लिए एमपीएम हाॅस्पिटल में दाखिल कराया गया था, जिसे आज एम्बुलेंस के माध्यम से विशाखापट्नम भेजा जा रहा था। अस्पताल से महज 5 किमी दूर जाकर एम्बुलेंस के वेंटीलेशन ने काम करना बंद कर दिया और युवती की सांसे थम गई, जबकि इसके एवज में अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से 21 हजार रुपए वसूल किया था।
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए युवती गायत्री सेठिया के बड़े पिता ललित जायसवाल ने बताया कि 12 दिसंबर को उसके सीने और गले में अचानक दर्द शुरू हो गया, जिसके चलते उसे लोहड़ीगुड़ा से जगदलपुर लाया गया और एमपीएम हाॅस्पिटल में उपचार के लिए दाखिल किया गया। दो दिनों के उपचार के बाद अस्पताल प्रबंधन ने सेहत में सुधार नहीं आते देख, परिजनों से विशाखापट्नम ले जाने की बात कही।
आज जब गायत्री को विशाखापट्नम ले जाने के लिए तैयारी की गई, तो अस्पताल प्रबंधन ने 21 हजार रुपए लेकर वेंटीलेशन युक्त एम्बुलेंस उपलब्ध कराया, पर महज 5 किमी दूर कुम्हारपारा पहुंचते ही एम्बुलेंस का वेंटीलेटर काम करना बंद कर दिया। जिसकी वजह से गायत्री की सांसे वहीं थम गई थी, इसके बावजूद एम्बुलेंस को अस्पताल लौटाया गया, फिर दूसरे एम्बुलेंस में शिफ्ट किया गया और फिर विशाखापट्नम के लिए निकाला गया, जबकि गायत्री पहले ही दम तोड़ चुकी थी, लेकिन अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए निजी अस्पताल प्रबंधन जबरिया ढोंग करता रहा।
कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आया
ललित जायसवाल ने बताया कि विशाखापट्नम ले जाने से पहले गायत्री का कोरोना टेस्ट भी हुआ था, जिसमें उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। लिहाजा उसकी मौत कोरोना की वजह से नहीं, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का परिणाम है।