कोरबा। एक दिन बाद छत्तीसगढ़ में 17 दिसंबर को भूपेश सरकार के दो साल पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर कोरबा जिले के प्रभारी मंत्री डॅा. पे्रमसाय सिंह टेकाम ने पे्रस वार्ता आयोजित कर दो सालों में राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाई।
कोरबा दौरे पर आये स्कूल शिक्षा मंत्री ने दो टूक कहा है कि फिलहाल छत्तीसगढ़ में स्कूल खोलने की स्थिति नहीं है। प्रभारी मंत्री के तौर पर कोरबा पहुंचे शिक्षा मंत्री ने 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर भी शिक्षा विभाग की स्थिति स्पष्ट की।
आनलाइन पढ़ाई को लेकर आ रही दिक्कतों को भी डॉक्टर प्रेमसाय सिंह ने कहा कि प्रदेश में आनलाइन पढ़ाई चल रही है। जहां नेटवर्किंग की दिक्कतें हैं या वहां पढ़ई तुंहर पारा शुरू की गयी है।छत्तीसगढ़ में स्कूल खोलने की संभावना दूर-दूर तक नहीं है।
वहीं 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर लग रही अटकलों पर शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया की 10वीं-12वीं की परीक्षा को लेकर हमलोगों ने सिलेबस तैयार किया है, कि किस महीने में क्या पढ़ाई होगी, उसके बाद आंतरिक मूल्यांकन भी हो रहा है, ज्यादा चांस है कि 10वीं-12वीं बोर्ड की परीक्षाएं होगी, लेकिन अगर परीक्षा नहीं हो पाया तो उस परिस्थिति में आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर नंबर दिया जायेगा।
शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह ने कहा की एक्सपर्ट्स ने बताया है कि कोरोना यहां रिपीट हो सकता है, ऐसी स्थिति में कोई भी अभिभावक जोखिम नहीं लेगा, अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेजेगा, ऐसे भी देखिये जिन जिन राज्यों में स्कूलों को खोला गया, वहीं फिर से बंद करना पड़ा, हम ऐसा क्यों करें कि स्कूल अभी खोले और फिर बंद करें।
राज्य सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल के सफलता पूर्वक पूर्ण होने पर योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उपलब्धियों पर आधारित दो दिवसीय विकास प्रदर्शनी का आयोजन जिला कलेक्टोरेट परिसर में 16 व 17 दिसंबर को किया जा रहा है। प्रदर्शनी का शुभारंभ जिले के प्रभारी एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम करेंगे।
डॅा. टेकाम ने कहा कि सरकार ने पिछले दो सालों में गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ लक्ष्य को लेकर सभी वर्गों के विकास के लिए अनेकों योजनाएं और कार्यक्रम संचालित किये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से लेकर महिलाओं, बुजुर्गों, वनवासियों, अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के निवासियों, सभी की बेहतरी के लिए कोविड काल में भी परिणाम देने वाला काम किया है। वैश्विक महामारी के दौर में जहां पूरा विश्व मंदी से जूझ रहा था, छत्तीसगढ़ में सरकार की गांवों और स्थानीय संसाधनों पर आधारित योजनाओं ने मंदी को राज्य में भटकने भी नहीं दिया। मनरेगा के तहत रोजगार के अवसर बढ़े, लोगों को रोजगार मिला, वनोपजों के संग्रहण की दर बढ़ाकर वनवासियों को फायदा पहुंचाया गया तो गोठानों की स्थापना कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी गई।
वादे पूरे करने वाली सरकार- प्रभारी मंत्री ने पे्रस और मीडिया के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने जो वादे चुनाव के समय प्रदेश की जनता से किये थे उनमें से अधिकांश वादे पूरे कर दिए गये हैं। सत्ता संभालते ही प्रदेश के 18 लाख किसानों का नौ हजार करोड़ रूपये का अल्पकालीन कृषि ऋण माफ किया गया है। कोरबा जिले में सरकार की कृषि ऋण माफी योजना से 23 हजार किसान लाभान्वित हुए हैं और उनका 118 करोड़ रूपये का कृषि ऋण माफ हो गया है। डॅा. टेकाम ने कहा कि सरकार ने किसानों को एक क्विंटल धान के लिए 25 सौ रूपये मूल्य देने का वादा किया था तो समर्थन मूल्य को छोड़कर राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को चार किश्तों में पांच हजार 750 करोड़ रूपये की सहायता उपलब्ध कराई है। जिसकी तीन किश्तें चार हजार पांच सौ करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। चैथी किश्त मार्च महिने में मिलेगी। डॅा. टेकाम ने बताया कि कोरबा जिले में 23 हजार 832 किसानों को 67 करोड़ 62 लाख रूपये की राशि इस योजना के तहत मंजूर हुई है। कोरबा जिले के इन किसानों को तीन किश्तों में 53 करोड़ 25 लाख रूपये सीधे बैंक खाते में जमा करा दिया गया है।
दो रूपये किलो में गोबर खरीदने वाली देश की पहली सरकार- डॅा. टेकाम ने पे्रस वार्ता में बताया कि छत्तीसगढ़ में लागू गौधन न्याय योजना से प्रदेश के एक लाख 36 हजार गोबर विके्रता लाभान्वित हो रहे हैं। दो रूपये किलो में गोबर खरीदने वाली यह पहली सरकार है। जिसने गोबर विके्रताओं से अब तक 59 करोड़ रूपये का गोबर खरीद लिया है और उससे वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाई जा रही है। डाॅ. टेकाम ने कहा कि इस योजना से जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। पशुओं की देखभाल के साथ-साथ खेतों में लगी फसलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। उन्होंने बताया कि कोरबा जिले में अब तक 12 हजार गोबर विके्रताओं से 97 हजार क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी की जा चुकी है और इसके लिए उन्हें एक करोड़ 95 लाख रूपये से अधिक का भुगतान भी किया जा चुका है।
छत्तीसगढ़ के चार चिन्हांरी नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी, एला बचाना हे संगवारी- डॅा. टेकाम ने पे्रस वार्ता में कहा कि पुराने समय से नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी छत्तीसगढ़ की पहचान रहे हैं। पिछली सरकारों के दौरान इनके विकास और संरक्षण पर उदासीनता दिखाई गई। कांगे्रस की भूपेश सरकार ने इन चारों पहचानों को बचाने की ठानी और इनके विकास के लिए योजना बनाई। आज छत्तीसगढ़ प्रदेश में 6430 गोठानों को मंजूरी दे दी गई है और उनमें से 4487 गोठान बन भी गये हैं। प्रभारी मंत्री ने बताया कि कोरबा जिले में 356 गोठान मंजूर हुए हैं। 224 गोठान पूरे हो गये हैं और 132 गोठानों का काम तेजी से जारी है। डॅा. टेकाम ने कहा कि गोठानों को ग्रामीण आजीविका और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए मल्टी एक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। गोठान समितियों और महिला स्वसहायता समूहों की महिलाओं को विभिन्न प्रकार के कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा जा रहा है। गोठानों में जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन तेजी से किया जा रहा है। कोरबा जिले में पहले चरण में 74 गोठानों में महिला स्वसहायता समूहों ने 112 टन वर्मी खाद बनाकर विभिन्न शासकीय विभागों को बेचा है। जिससे उन्हे लगभग 11 लाख रूपये की आमदनी हुई है।
नरवा विकास के कामों के लिए छत्तीसगढ़ को एवार्ड- डा.ॅ टेकाम ने कहा कि नरवा विकास के लिए किए गये कामों के लिए केंद्र सरकार से भी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और सूरजपुर जिले को नेशनल वाटर एवार्ड से सम्मानित किया गया है। जल संरक्षण और संवर्धन के लिए छोटे-बड़े नालों को पुनर्जिवित करने पूरे प्रदेश में एक हजार 028 नालों का चयन किया गया है। जिन पर ब्रशवुड चेक, गली प्लग निर्माण, लूज बोल्डर चेक, भूमिगत डाईक निर्माण, गेबियन स्ट्रेक्चर, स्टाप डेम चेक डेम, कंटूरबंड निर्माण, वृक्षारोपण जैसे कार्य कराये जा रहे हैं।
मनरेगा में मिला 27 लाख परिवारों के 57 लाख श्रमिकों को काम- डा.ॅ टेकाम ने कहा कि प्रदेश में इस वर्ष अब तक 27 लाख परिवारों को 57 लाख श्रमिकों को काम मनरेगा के तहत काम मिला है। गांव स्तर पर ही इससे साढ़े दस करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन, हुआ है और श्रमिकों को 2,305 करोड़ रूपये मजदूरी भुगतान किया गया है। प्रभारी मंत्री ने बताया कि कोरबा जिले में इस वर्ष मनरेगा से अब तक 79 हजार परिवारों के एक लाख 051 हजार श्रमिकों को रोजगार मिला है जिससे 28 लाख 18 हजार मानव दिवस के लिए श्रमिकों को 55 करोड़ 22 लाख 34 हजार रूपये की मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है। प्रदेश में इस साल 1.28 लाख परिवारों को 100 दिन का रोजगार मनरेगा के तहत मिला है। कोरबा जिले में इस वर्ष 3731 परिवारों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। पहली बार प्रदेश में 21 हजार से अधिक वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को 100 दिन से अधिक का रोजगार मनरेगा से मिला है। कोरबा जिले में भी वन अधिकार पट्टाधारी 1406 परिवारों को मनरेगा से एक सौ दिन से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
महा नगरों की तर्ज पर बनेगा कोरबा में नया मेडिकल कालेज- प्रभारी मंत्री डा.ॅ टेकाम ने बताया कि कोरबा जिले में नया मेडिकल कालेज अगले सत्र से शुरू हो जायेगा। इस मेडिकल कालेज को महा नगरों के मेडिकल कालेज की तर्ज पर विकसित किया जायेगा। प्रारंभिक तौर पर झगरहा के आईटी कालेज में 100 सीटर मेडिकल कालेज खुलेगा जिसके लिए प्रभारी डीन की नियुक्ति भी सरकार ने कर दी है। केंद्र अंश के रूप में 50 करोड़ रूपये का आबंटन भी प्राप्त हो गया है। इंडियन मेडिकल कौंसिल के निरीक्षण के लिए प्रक्रिया की जा रही है।
राशन कार्ड पर ईलाज की सुविधा देने वाली सरकार- पे्रसवार्ता में डाॅ. टेकाम ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की योजना के तहत प्रदेश में राशन कार्ड के आधार पर भी ईलाज की सुविधा मिल रही है। उन्होंने बताया कि संभवतः राशन कार्ड पर ईलाज की सुविधा देने वाली छत्तीसगढ़ की सरकार देश की पहली सरकार है। डॅा. टेकाम ने बताया कि स्मार्ट कार्ड के अलावा एक रूपये किलो चावल प्राप्त करने वाले राशनकार्ड धारकों को सरकार द्वारा एक साल में एक लाख रूपये का ईलाज कराने की मुफ्त सुविधा दी जा रही है। एपीएल राशनकार्ड धारक एक साल में 50 हजार रूपये सीमा तक का ईलाज करा सकेंगे। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही राज्य सरकार ने 14 गंभीर बिमारियों के लिए 20 लाख तक के ईलाज की सुविधा देने की योजना भी चलाई है। डाॅ. टेकाम ने यह भी बताया कि पूरे प्रदेश में डॅा. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत शासकीय और निजी अस्पतालों में 65 लाख से अधिक परिवारों के मरीजों को अभी तक निःशुल्क ईलाज की सुविधा दी जा चुकी है। प्रभारी मंत्री ने बताया कि कोरबा जिले में इस योजना क तहत 19 हजार से अधिक मरीजों का निःशुल्क ईलाज किया जा चुका है। जिससे मरीजों को 15 करोड़ रूपये से अधिक के ईलाज खर्च का भार वहन नहीं करना पड़ा है। प्रभारी मंत्री ने बताया कि कोरबा जिले में मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत जिले में 08 चलित अस्पतालों के माध्यम से अब तक साढ़े चार हजार से अधिक गरीब मरीजों का निःशुल्क ईलाज किया जा चुका है। जल्द ही दाई-दीदी क्लिनिक योजना के माध्यम से महिला चिकित्सकों द्वारा महिलाओं की स्वास्थ्य जांच और निःशुल्क ईलाज की सुविधा की शुरूआत की जायेगी।
कुपोषण हुआ कम, महिलाएं जुड़ीं रोजगार से – प्रभारी मंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में कोरबा जिले में कुपोषण में लगभग 06 प्रतिशत की कमी। वर्ष 2019 में कुपोषण का स्तर 22.42 प्रतिशत था जो वर्तमान में 16.10 प्रतिशत है। प्रदेश में सुदूर ग्रामीण अंचलों के गरीब परिवारों की 06 लाख 12 हजार महिलाओं को विहान मिशन के तहत 55 हजार 814 स्वसहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न रोजगार मूलक गतिविधियों से जोड़ा गया है। कोरबा जिले में सुदूर ग्रामीण अंचलों के गरीब परिवारों की एक लाख एक हजार से अधिक महिलाओं को विहान मिशन के तहत नौ हजार 408 स्वसहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न रोजगार मूलक गतिविधियों से जोड़ा गया है। जिले में पिछले दो वर्ष में 2272 महिला स्वसहायता समूहों को रोजगार के लिए शासकीय अनुदान के रूप में लगभग साढ़े आठ करोड़ रूपये की सहायता दी गई है। प्रदेश में लाॅकडाउन के दौरान सुपोषण अभियान के तहत नियमित रूप से तीन लाख 34 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन का वितरण और 02 लाख 36 हजार बच्चों और महिलाओं को अन्य पौष्टिक आहार दिया गया है। कोरबा जिले में कोरोना संक्रमण के दौरान लाॅकडाउन की अवधि में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत नियमित रूप से 52 हजार 922 हितग्राहियों को सूखा राशन वितरण किया गया है। प्रभारी मंत्री ने बताया कि कोरबा जिले के 2539 आंगनबाड़ी केंद्रों के लगभग एक लाख 17 हजार 112 हितग्राहियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से रेडी टू ईट का वितरण किया गया। प्रदेश में पिछले 02 वर्षों में 77 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए। कोरबा जिले में दो वर्षों में पांच हजार 705 बच्चे कुपोषण मुक्त हुए। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत जिले में संचालित प्रबल कार्यक्रम से एक से 06 वर्ष तक के 94 हजार 669 बच्चों को अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में अण्डा, मूंगफली लड्डू, चिक्की और गरम पौष्टिक भोजन दिया गया है। सुपोषित जननी योजना के तहत 21 हजार 115 शिशुवती एवं गर्भवती माताओं को अतिरिक्त पोषण आहार प्राप्त कर रहीं है।
कोरबा जिले में खुले तीन इंग्लिस मिडियम स्कूल, अब कोई कर्मी नहीं- प्रभारी मंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अब कोई शिक्षा कर्मी नहीं हैं। सभी पढ़ाने वालों को शिक्षक का पूर्ण दर्जा इस सरकार ने दे दिया है। पूर्व सरकार के द्वारा भर्ती शिक्षा कर्मियों को संविलियन कर शिक्षक बना दिया गया है। इसके साथ ही नियमित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को अंगे्रजी माध्यम की अच्छी शिक्षा देने के लिए सरकार ने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत 53 उत्कृष्ट अंगे्रजी माॅडल स्कूलों का संचालन शुरू कर दिया है। अगले साल ऐसे 100 नये स्कूल खुलेंगे। उन्होंने बताया कि कोरबा जिले में तीन नये स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूल कोरबा, हरदीबाजार और पाली में शुरू किये गये हैं। जिले में सात नये विद्यालय करतला, कटघोरा, छुरी, दीपका, एनसीडीसी कोरबा, पोड़ीउपरोड़ा और अंधरीकछार में खोलने शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रदेश में 14 हजार 580 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। कोरबा जिले में 230 नियमित शिक्षक भर्ती होंगे। प्रदेश में विगत दो वर्षों में 16 हजार 278 शिक्षा कर्मियों का संविलियन किया गया है। कोरबा जिले में 697 शिक्षा कर्मियों का संविलियन हो गया है।
कोरोना काॅल में भी नहीं छुटी पढ़ाई- पे्रस वार्ता में प्रभारी मंत्री डॅा. टेकाम ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों का नियमित संचालन संभव नहीं था। फिर भी बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए राज्य सरकार ने आॅनलाईन पढ़ाई के साथ-साथ पढ़ाई के अन्य तरीकों को भी आजमाया। कोरोना संक्रमण काल के दौरान पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 88 हजार विद्यार्थियों एवं 2400 शिक्षकों द्वारा आॅनलाईन कक्षाओं में अध्ययन अध्यापन किया गया। गांवों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई का इंतजाम कर लगभग 400 शिक्षकों द्वारा साढ़े 13 हजार से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाया गया। ब्लूटूथ आधारित बोल्टू के बोल कार्यक्रम के माध्यम से लगभग साढ़े तीन सौ शिक्षकों ने जिले के 06 हजार विद्यार्थियों को पढ़ने में सहयोग किया।