रायपुर। नए साल का जश्न हो, तो शराब और शबाब की भला कमी, वह भी राजधानी में… सोचना भी बेमानी है। राजधानी में सुरक्षित जगहों की बुकिंग के साथ ही पखवाड़ेभर पहले से ब्रोकर्स ऐसी तैयारी कर लेते हैं, जिससे पुलिस को आसानी से गुमराह किया जा सके। पुलिस भी जानती है कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद जश्न भी होगा और जिस्म की मंडी भी सजेगी, फिर भी राजधानी पुलिस अभी से सतर्कता बरतने का प्रयास कर रही है।
बीते एक दशक के दौरान राजधानी में ऐसा कोई भी नया साल नहीं गया, जब शराब और शबाब को लेकर बवाल ना मचा हो, इसके बावजूद “गंदा है, पर धंधा है” को मानने वाले सक्रिय हो जाते हैं। राजधानी में बड़े स्तर पर इस तरह का आयोजन किया जाता है, जिसमें शालीनता की दुहाई तो दी जाती है, पर वास्तविकता विवाद के साथ ही बाहर आती है। शहर सहित नया रायपुर और आसपास के छोटे-बड़े फार्म हाउस में नए साल का जश्न किस तरह मनाया जाता है, इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं।
रईस घरानों के टीन एजर्स इस दिन को कुछ अलग अंदाज में सेलीब्रेट करने के फिराक में होते हैं, जिसका पूरा फायदा जिस्म के सौदागार उठाते हैं। दो राय नहीं कि बिकता वही है, जिससे खरीदार मिलता है। यानी बेहद साफ है कि राजधानी में इस गंदे से धंधे को यदि शह मिलता है, तो इसके लिए जिम्मेदार राजधानी के युवा ही हैं।
बहरहाल राजधानी पुलिस का दावा है कि नए साल के जश्न में जिस्मफरोशी के गंदे से धंधे को मौका नहीं दिया जाएगा। उनकी टीमें पूरी तरह से सक्रिय रहेंगी। तो देखने वाली बात है कि पुलिस की सक्रियता कितनी काम आती है।
वहीं दूसरी बात जो देखने की होगी, वह यह कि पुलिस की आंखों में धूल झोंककर नए साल के जश्न की तैयारी में जुटे लोग किस हद तक सफल हो पाएंगे।