रायपुर। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को अब याद आ रहा है कि चंदखुरी में माता कौशल्या का सिर्फ मंदिर है। चंदखुरी कौशल्या माता की जन्मभूमि नहीं है। राज्य बने 20 साल हो गए हैं। 15 साल भाजपा की सरकार थी तब उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी शायद क्योंकि भाजपा की सरकार आने के पहले राज्य बनते ही कांग्रेसी सरकार बनी जिसमें अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे और अजीत जोगी ने ही सबसे पहले चंदखुरी में कौशल्या माता के मंदिर का विकास किया था। कौशल्या माता का मंदिर वहां बरसों से है। ना केवल वहां कौशल्या माता का मंदिर है बल्कि वैद्यराज सुषेण का भी मंदिर है। अब सवाल यह उठता है कि उस मंदिर के विकास के लिए जब भूपेश बघेल सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रुचि लेकर कौशल्या माता के जन्म स्थान व कौशल्या मंदिर का विकास कर रहे हैं, तब अचानक पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को याद आता है कि चंदखुरी कौशल्या माता का जन्म स्थान नहीं है।
जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कौशल्या माता के मंदिर के विकास की घोषणा की थी तब शायद उन्हें पता नहीं था। लेकिन अचानक उनकी याददाश्त वापस आना हैरानी का विषय है। संभवत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राम वनगमन पथ का विकास करना भी उनकी याददाश्त को वापस लाने का महत्वपूर्ण कारण माना जा सकता है। हाल ही में राम वनगमन पथ पर बाइक रैली और रथ यात्रा के आयोजन से शायद अजय चंद्राकर समेत पूरी भाजपा को अब यह लगने लगा है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने धान के साथ-साथ राम का मुद्दा भी उनसे छीन लिया है, इसलिए बौखलाहट में भूपेश बघेल को कुछ ना कहकर माता कौशल्या के जन्म स्थान को विवाद में लाकर अजय चंद्राकर खुद अपने आप को विवाद में ला रहे हैं, और लोगों की नजरों में अपने आप को खलनायक साबित कर रहे हैं।