साल 2020 पूरी तरह कोरोना की भेंट चढ़ गया। साल की शुरुआत से अंतिम माह तक की स्थिति का आकलन किया जाए तो अब तक कुल संक्रमितों की संख्या एक करोड़ के पार हो चुकी है, लेकिन राहत की बात यह है कि अब देश में केवल 3 लाख एक्टिव केस रह गए हैं। इस बीच 1.45 लाख लोगों की मौत हुई है, जो देश के लिए बड़ा नुकसान साबित हुआ है।
भारत में 30 जनवरी को केरल में पहला संक्रमित मिला था। तब से 324 दिन के अंदर ये आंकड़ा एक से एक करोड़ तक पहुंच गया। अब तक 1.45 लाख से ज्यादा लोग संक्रमण के चलते जान गंवा चुके हैं। हालांकि, राहत की बात है कि देश में कोरोना मरीजों के ठीक होने की रफ्तार भी काफी तेज है। अब तक 95.41 प्रतिशत यानी 95 लाख से ज्यादा लोग रिकवर हो चुके हैं। 3.05 लाख मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है।
ऐसे बढ़ी कोरोना की रफ्तार
- 30 जनवरी को चीन के वुहान शहर से लौटी 20 साल की महिला कोरोना संक्रमित पाई गई। यह देश का पहला केस था।
- 03 फरवरी तक केरल में ही तीन नए केस आ चुके थे। ये सभी लोग विदेश यात्रा से लौटे थे।
- 3 मार्च तक देश में कुल छह केस रिपोर्ट हुए थे।
- 04 मार्च को इटली के एक टूरिस्ट ग्रुप के 14 सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
- 12 मार्च को साऊदी अरब से लौटे 76 साल के एक कोरोना मरीज की मौत हो गई। संक्रमण से देश में यह पहली मौत थी।
- 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया।
- 24 मार्च को प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया। यह लॉकडाउन 25 मार्च से प्रभावी हुआ।
- 14 अप्रैल को यह लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया। फिर इसे दो बार और बढ़ाया गया।
- 3 मई से 17 मई और फिर 17 से 31 मई तक लॉकडाउन बढ़ा।
- 1 जून से लॉकडाउन में छूट मिलना शुरू हुआ और अब तक पूरा देश लगभग पूरी तरह से खुल चुका है।
लाॅक डाउन खुला और मचा हाहाकार
25 मार्च से 31 मई तक देश में 1.98 लाख लोग कोरोना से संक्रमित पाए जा चुके थे। लॉकडाउन से छूट मिलते ही कोरोना की रफ्तार तेज हो गई। 725 फीसदी की रफ्तार से नए केस सामने आने लगे। 16 जुलाई तक संक्रमितों की संख्या 10 लाख हो गई। इसके अगले 21 दिनों में 10 लाख से 20 लाख मरीज हो गए। सबसे तेज 40 से 50 लाख केस होने में महज 11 दिन लगे थे।