रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान और किसानों की सुध लेने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राम को केवल भाजपा का नहीं, बल्कि सबके राम कहते हुए रामवन गमन पथ के विकास पर कदम बढ़ा दिया है। राम को हाथ से फिसलता देखकर भाजपा के कुछ कद्दावरों का हलक सुखने लगा है। इनमें बड़ा नाम पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का आता है, जिन्होंने इतिहास को झूठलाने की कोशिश की है, जबकि इतिहास गवाह है कि माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी ही है।
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ0 मन्नुलाल यदु की किताब छत्तीसगढ़ के कौशल्या नंदन राम में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी ही है। वहीं इतिहासकारों के अनुसार सागर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केडी वाजपेयी ने बिलासपुर के पास कोसला में सिक्के मिलने के पर उसे कोसल की राजधानी माना। 1975 में प्रोफेसर रमेन्द्र नाथ मिश्र ने चंदखुरी में कौशल्या मंदिर की खोज की, उसके बाद कथाओं और किवदंतियों के आधार पर चंदखुरी को ही माता कौशल्या की जन्मस्थली माना जाने लगा।
बता दें कि पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने विवाद खड़ा किया है कि चंदखुरी में माता कौशल्या का सिर्फ मंदिर है। चंदखुरी कौशल्या माता की जन्मभूमि नहीं है। राज्य बने 20 साल हो गए हैं। 15 साल भाजपा की सरकार थी तब उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी शायद क्योंकि भाजपा की सरकार आने के पहले राज्य बनते ही कांग्रेसी सरकार बनी जिसमें अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे और अजीत जोगी ने ही सबसे पहले चंदखुरी में कौशल्या माता के मंदिर का विकास किया था। कौशल्या माता का मंदिर वहां बरसों से है। ना केवल वहां कौशल्या माता का मंदिर है बल्कि वैद्यराज सुषेण का भी मंदिर है। अब सवाल यह उठता है कि उस मंदिर के विकास के लिए जब भूपेश बघेल सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रुचि लेकर कौशल्या माता के जन्म स्थान व कौशल्या मंदिर का विकास कर रहे हैं, तब अचानक पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को याद आता है कि चंदखुरी कौशल्या माता का जन्म स्थान नहीं है।
जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कौशल्या माता के मंदिर के विकास की घोषणा की थी तब शायद उन्हें पता नहीं था। लेकिन अचानक उनकी याददाश्त वापस आना हैरानी का विषय है। संभवत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राम वनगमन पथ का विकास करना भी उनकी याददाश्त को वापस लाने का महत्वपूर्ण कारण माना जा सकता है। हाल ही में राम वनगमन पथ पर बाइक रैली और रथ यात्रा के आयोजन से शायद अजय चंद्राकर समेत पूरी भाजपा को अब यह लगने लगा है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने धान के साथ-साथ राम का मुद्दा भी उनसे छीन लिया है, इसलिए बौखलाहट में भूपेश बघेल को कुछ ना कहकर माता कौशल्या के जन्म स्थान को विवाद में लाकर अजय चंद्राकर खुद अपने आप को विवाद में ला रहे हैं, और लोगों की नजरों में अपने आप को खलनायक साबित कर रहे हैं।