नई दिल्ली। अपनी मांगों के समर्थन में पिछले 25 दिनों से डटे किसानों अब सख्त रुख अख्तियार करने का निर्णय लिया है। अगले एक सप्ताह के दौरान अलग अलग तरीके से किसान केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताएंगे।
इस दौरान सभी धरना स्थलों पर 11-11 किसान सोमवार से बुधवार तक अनशन करेंगे, भाजपा नेताओं को ज्ञापन सौंपकर कृषि कानूनों को वापस लेने, किसान दिवस पर दोपहर का भोजन न बनाने का निर्णय लिया है। 26-27 को हरियाणा के सभी टोल प्लाजा को फ्री किया जाएगा तो एक कॉरपोरेट घराने के सभी खाद्य उत्पादों के बहिष्कार का किसानों ने निर्णय लिया है। 27 दिसम्बर को जब प्रधानमंत्री की तरफ से मन की बात की जाएगी, उस वक्त किसान देश भर में थाली, ताली के शोर में उनकी आवाज को दबाएंगे।
सिंघु बॉर्डर पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत, दर्शनपाल सहित अन्य नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री मन की बात नहीं जन की बात करें। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ओछी हरकत कर रही है। किसानों के नाम अनुयायिओं को पैसे देकर रैली निकलवा रही है। किसानों को 50 लाख के मुचलके भरवा रही है। हम इससे डरने वाले नहीं हैं। किसान नेता दर्शनपाल, रलधू सिंह, सरजीत सिंह फूल सहित अन्य किसान नेताओं ने भी संबोधित किया।
उन्होंने बताया कि सभी धरना स्थल पर सोमवार से बुधवार तक 11-11 किसान अनशन पर होंगे। 23 दिसंबर को किसान दिवस पर देश के किसान दोपहर का भोजन नहीं बनाएंगे जबकि 25 दिसंबर को भाकियू कार्यकर्ता भाजपा नेताओं को ज्ञापन सौंपकर जवाब लेंगे।
26 दिसंबर को मोदी सरकार के घटक दलों को ज्ञापन सौंपकर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगे। 26-27 दिसंबर के दौरान हरियाणा के सभी टोल प्लाजा कर दिए जाएंगे जबकि सोमवार से अडानी के सभी खाद्य उत्पादों का (आटा, तेल, रिफाइंड सहित अन्य उत्पाद) किसान बहिष्कार करेंगे।
श्रद्धांजलि सभा
सिंघु बॉर्डर पर सुबह 11 बजे से एक बजे के बीच आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले किसानों की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसमें किसानों, परिजनों सहित तमाम वर्गों के लोग शामिल हुए। इसके बाद किसान नेताओं ने पूरे दिन संबोधन के दौरान किसानों के हक की लड़ाई में पीछे न हटने का दावा करते हुए आंदोलन की आगे की रुपरुखा तैयार करने में जुटे रहे। मृतक किसानों की याद में पाठ किया गया तो हर तरफ अरदास किया गया ताकि इस आंदोलन को आगे और सशक्त बनाया जा सके।
किसान समर्थकों में भी केंद्र सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। सिंघु बॉर्डर पर संबोधन के दौरान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक विरोध जारी रखने का दावे पर टिकैत किसानों ने इन कानूनों को कॉरपोरेट्स के हक में बताते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज किया।