बसंतपुर। जिले में स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में रविवार को मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई। यहां एक दिव्यांग को पत्नी के इलाज के लिए अस्पताल परिसर में ही भीख मांगना पड़ा। दिव्यांग ने आरोप लगाया कि डिलीवरी में देरी होने की वजह से पेट में ही बच्चे की मौत हो गई। कहा कि डॉक्टर, नर्सेस और आया ने 5 हजार की मांग की थी। नहीं देने पर डिलीवरी में देरी की। वहीं नवजात शिशु की मौत के बाद से पत्नी की हालत नाजुक है। उसे आईसीयू मेें रखा गया है। दवाइयां खरीदना तो छोड़ भोजन के लिए पैसे नहीं होने पर दिव्यांग ने भीख मांगना शुरू कर दिया था। सूचना मिलने पर शहर के समाजसेवी सामने आए और मदद कर भीख मांगने से उसे रोका।
पहले खैरागढ़ ले गए थे फिर बसंतपुर अस्पताल लाए
बकरकट्टा निवासी दिव्यांग रामजश नेताम ने बताया कि पत्नी हेमलता को डिलीवरी का समय नजदीक होने पर सबसे पहले खैरागढ़ अस्पताल लेकर गए। यहां से 7 दिसंबर को रात 9 बजे बसंतपुर अस्पताल में भर्ती कराया। यहां आने के बाद पैसे की मांग की गई। लगभग 5 हजार रुपए देने कहा गया। पैसे नहीं होने और घर से पैसे मंगाने की बात कही तो इलाज करने में आनाकानी की गई। यहां तक डिलीवरी में देरी कर दी गई। दो दिन बाद 9 दिसंबर रात 11 बजे सिजेरियन डिलीवरी की गई। डॉक्टरों ने पेट में ही बच्चे की मौत होने की सूचना दी। इस अव्यवस्था पर नेताम ने नाराजगी जताई।
लॉकडाउन में दुकानदारी बंद, आर्थिक संकट से जूझ रहा
बसंतपुर अस्पताल में पीड़ित की ऐसी हालत को देखते हुए शहर के कांग्रेसी नेता तथागत पांडे सहित अन्य समाजसेवी सामने आए और भोजन सहित दवाइयों की व्यवस्था करने के बाद दिव्यांग रामजश नेताम को भीख मांगने से मना किया। रामजश ने बताया कि दिव्यांग होने की वजह से शासन की योजना के तहत लोन लेकर गांव में छोटा सा दुकान चला रहा था पर लॉकडाउन में दुकानदारी बंद हो गई। इसके चलते आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में पैसों की मांग होने से घबरा गया और भीख मांगने लगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की मनमानी बंद होनी चाहिए।
पत्नी गंभीर स्थिति में आईसीयू में इलाज जारी
रामजश ने बताया कि डिलीवरी के बाद से पत्नी गंभीर हो गई है, उसे आईसीयू में रखा गया है। डॉक्टरों ने बताया कि वह फिलहाल कुछ खा नहीं सकती। इलाज के दौरान डॉक्टरों की ओर से बाहर से दवाइयां लाने पर्ची लिखी जा रही है। दवाइयां खरीदने के लिए पैसे नहीं है। इसलिए मजबूर होकर अस्पताल के सामने भीख मांगना शुरू किया। लोगों ने मदद भी की।