ब्रिटेन में कोरोना वायरस की एक नई किस्म के तेजी से फैलने से लोगों के बीच दहशत पैदा हो गई है। ब्रिटिश सरकार ने शनिवार को लंदन और देश के अन्य हिस्सों में फिर लॉकडाउन लागू कर दिया, क्योंकि इन इलाकों में यह नया वायरस तेजी से फैल रहा था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस का यह नया प्रकार सार्स-सीओवी-2 वायरस (कोरोना वायरस) के अन्य प्रकारों से 70 फीसदी अधिक खतरनाक है। ब्रिटेन में हाल के दिनों में सामने आए संक्रमण के नए मामलों के पीछे इसी वायरस का हाथ बताया जा रहा है। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या इस वायरस से संक्रमित मरीजों पर कोरोना की वैक्सीन प्रभावी होगी या नहीं। ऐसे में आइए इस नए वायरस के बारे में कुछ चीजों को जाना जाए।
नया वायरस लोगों के बीच चिंता क्यों पैदा कर रहा है?
नए वायरस को लेकर इसलिए चिंता की जा रही है, क्योंकि यह तेजी से वायरस के अन्य संस्करणों की जगह ले रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका नतीजा यह होगा कि यह अधिक तेजी से फैलना शुरू हो जाएगा। हालांकि, निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है लेकिन एहतियात के तौर पर ब्रिटेन में नए सिरे से लॉकडाउन लागू किया गया है। ब्रिटेन और अमेरिका के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि वायरस का यह नया प्रकार दूसरों की तुलना में अधिक आसानी से संक्रमित करने वाला लगता है। ब्रिटिश सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वालेंस ने कहा, यह नया वायरस तेजी से फैल रहा है और दिसंबर में लंदन में सामने आए 60 फीसदी मामले इस वायरस से जुड़े हुए थे।
वायरस का यह नया रूप कितना नया है?
वायरस का यह नया रूप नवीनतम नहीं है। वास्तव में इसके बारे में सितंबर में पता चला था। नवंबर में लंदन में सामने आए एक चौथाई मामले इस वायरस से जुड़े हुए थे। मध्य-दिसंबर तक लंदन के दो-तिहाई मामलों में इसकी हिस्सेदारी थी। नॉटिंघम विश्वविद्यालय में वायरोलॉजिस्ट जॉनथन बॉल ने कहा, अभी तक वायरस को लेकर जितने भी सबूत पेश किए गए हैं, वे अपर्याप्त दिखाई पड़ते हैं। इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि वायरस की वास्तव में वृद्धि हुई है या नहीं।
अभी तक वायरस का यह नया प्रकार ब्रिटेन और दुनिया के किन हिस्सों तक फैला है?
वायरस के इस नए प्रकार के मामले ब्रिटेन भर में सामने आए हैं। उत्तरी आयरलैंड ही इसमें एक अपवाद है। हालांकि, वायरस के अधिकतर मामले लंदन, दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड और पूर्वी इंग्लैंड में सामने आए हैं। देश के अन्य हिस्सों में इसके ज्यादा मामले देखने को नहीं मिले हैं। दुनियाभर में वायरल नमूनों के आनुवंशिक कोड की निगरानी करने वाले नेक्स्टस्ट्रेन के डाटा से पता चलता है कि डेनमार्क और ऑस्ट्रेलिया में सामने आए मामलों का संबंध ब्रिटेन से था। नीदरलैंड में भी इससे जुड़े मामले सामने आए हैं। दक्षिण अफ्रीका में सामने आया एक ऐसा ही वायरस का प्रकार कुछ इसी तरह के उत्परिवर्तन को साझा करता है, लेकिन यह इस से असंबंधित प्रतीत होता है।
क्या वायरस का यह नया प्रकार ज्यादा खतरनाक है?
अभी तक इस बात को लेकर पर्याप्त सबूत नहीं है कि वायरस का यह नया प्रकार ज्यादा खतरनाक है, हालांकि अभी हालात की निगरानी की जा रही है। लेकिन संक्रमण के बढ़ रहे मामले अस्पतालों में मरीजों की संख्या को बढ़ाने के लिए पर्याप्त हैं। अगर नए प्रकार का मतलब है कि ज्यादा लोग ज्यादा जल्दी संक्रमित होंगे तो इससे ज्यादा संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा, जो अस्पतालों पर भार बढ़ाएगा।
क्या पहले से ही कोरोना संक्रमित मरीज वायरस के इस नए प्रकार से संक्रमित हो सकते हैं और क्या वैक्सीन इस पर प्रभावी होगी?
विशेषज्ञों का कहना है कि शायद ऐसा नहीं हो। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के नामित सर्जन जनरल विवेक मूर्ति ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जिस वैक्सीन को वर्तमान में कोरोना से लड़ने के लिए तैयार किया गया है वो इस वायरस पर भी प्रभावी होगी। अमेरिकी सरकार के वैक्सीन वितरण के प्रयास के लिए मुख्य विज्ञान सलाहकार डॉ मोनसेफ सलोई ने कहा, मौजूदा वैक्सीन के इस नए वायरस पर प्रभावी होने की संभावना बेहद कम है, लेकिन इसके अक्षम होने की संभावना भी नहीं है। अब तक, मुझे नहीं लगता कि कोई वैक्सीन है जो प्रतिरोधी होगी। वहीं, विवेक मूर्ति ने कहा कि वायरस के नए प्रकार के चलते लोगों को ज्यादा से ज्यादा मास्क पहनना, हाथों को साफ करना और सामाजिक दूरी का ख्याल रखना चाहिए।