छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण ने रायपुर के दो रियल एस्टेट कारोबारियों पर बड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। इन दोनों कारोबारियों के खिलाफ शिकायत थी कि उन लोगों ने कॉलोनी के ब्रोशर में सीवर, नाली, अंडरग्राउंड वॉटर टैंक, बिजली की लाइन और मंदिर जैसी जिन सुविधाओं का दावा किया था, वह सुविधाएं कई वर्षों बाद भी बनाकर नहीं दी गईं। रेरा के पंजीयक के मुताबिक 2015 में अभनपुर तहसील के सिवनी गांव में वात्सल्य बिल्डर्स के लिए उसके डायरेक्टर प्रफुल्ल पुरुषोत्तम राव गड़गे ने वात्सल्य गौरव नाम से एक प्लॉटेट रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की अनुमति ली।
प्रमोटर ने वर्ष 2011 से 2015 तक कई लोगों को यहां प्लॉट बेचेे। प्रमोटर ने अब तक ब्रोशर में विज्ञापित रोड कार्य, सिवर लाईन व एचटीपी, विद्युत वितरण लाईन, अंडर ग्राउंड टैंक व ट्यूबवेल, गार्डन, चिल्ड्रन प्ले एरिया, मंदिर, बाउंड्रीवाल तथा विद्युतीकरण कार्य का विकास ही नहीं किया। सुनवाई के बाद रेरा ने प्रमोटर को उपभोक्ताओं से प्रोजेक्ट के विकास के लिए ली गई राशि वापस करने को कहा है। उसके अलावा प्रमोटर को दो महीने के भीतर विवादित भूखण्ड का रजिस्ट्री बैनामा उपभोक्ता के नाम कर उसका कब्जा देने को भी कहा गया है।
दूसरा मामला आरंग तहसील स्थित नरदहा के सिटी ऑफ वेलेन्सिया का है। शिकायत आई कि प्रमोटर अबीर बिल्डकॉन के डायरक्टर आफताब सिद्दीकी ने 2010 से अभी तक यहां 691 भूखण्ड बेचकर 41 करोड़ रुपए से अधिक प्राप्त कर चुका है।भूखंडों की बिक्री के बाद प्रमोटर ने ब्रोशर अनुसार किसी सुविधा रोड, नाली, पेयजल, सिवरेज, विद्युत व्यवस्था, लैंड स्केपिंग, डिवाइडर, कम्युनिटी सेंटर, बाउंड्रीवाल, मेन गेट तथा गार्ड रूम का विकास पूर्ण नहीं किया।
करने के कारण कलेक्टर, जिला-रायपुर को यह निर्देशित किया है कि वह दो माह के भीतर छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत (कॉलोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन तथा शर्तें) नियम, 1999 के नियम-13 अंतर्गत कार्यवाही कर प्राधिकरण को सूचित करना सुनिश्चित करें।
कलेक्टर को दो महीने में करनी होगी कार्रवाई
रेरा ने रायपुर कलेक्टर को इन दोनों रियल एस्टेट प्रमोटरों पर छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन तथा शर्तें) नियम-1999 के तहत कार्रवाई करने को कहा है। कार्रवाई के बाद इसकी सूचना रेरा और आवास एवं पर्यावरण विभाग को भी देना होगा।
कॉलोनाइजर की जमीन बेचकर सुविधा देगी प्रशासन
छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन तथा शर्तें) 1999 के तहत कॉलोनाइजर को 25 प्रतिशत भूखंड ग्राम सभा के पास बंधक रखना होता है। अनुमति के अधिकतम तीन वर्ष के भीतर आंतरिक सुविधाएं विकसित करनी होगी। अगर कॉलोनाइजर ऐसी आंतरिक सुविधाएं विकसित करने में नाकाम रहता है तो कलेक्टर कॉलोनी का आंतरिक विकास कार्य अपने हाथ में लेगा। इसपर आने वाले खर्च को कॉलोनाइजर की बंधक पड़ी जमीन को बेचकर पूरा किया जाएगा।