कवर्धा। ठण्ड ने इस बार प्रदेश में जम कर असर दिखाया है। प्रदेश के कबीरधाम जिले में इसका खासा असार देखने को मिल रह रहा रहा। वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में ओस की चादर अपना सौन्दर्य बिखेर रही है। कवर्धा का चिल्फी क्षेत्र इन दिनों सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सुबह घांस,पैरे के खलिहान में, धन खेतों में ओस जम जाती है। लोग इस ठंड से बचने के लिए अलाव का इस्तमाल कर रहे है। जगह जगह आग जलाकर ठण्ड का मजा लेते नजर आ रहे है।
सुबह एक इंच की बर्फीली चादर
सुबह का नजारा चिल्फी का जन्नत सा हो गया है ओस की बूंदे सुबह बर्फ की चादर जैसी नजर आता है।पानी में एक 1 इंच तक का बर्फ जम रहा है। बादल छंटते ही तापमान में गिरावट आने से कड़ाके की ठण्ड पड़नी शुरू हो गई है और सुबह के समय सूखी घास, हरी पत्तियों, धान के खेत में रखे पैरा, फसल, गांव में स्थित घास-फूस में ओस की बूंदे जमने लगी है जो लोगों को काफी आकर्षित कर रही है वहीं सोमवार की सुबह बर्फ की लगभग 1 इंच तक मोटी परत आंगन में रखे थाली पर जम गई थी। यहां न्यूनतम तापमान 5 से 7 डिग्री तक पहुंच चुका है वहीं ठंड बढ़ने से ग्रामीणों की दिनचर्या में बदलाव आ गया है।
अलाव जलाकर ठंड भगा रहे रहवासी
इस साल की सबसे कड़ाके की ठंडी के साथ ओस की बूंदों के जमने से वनांचल का मौसम खुशनुमा हो गया है। अंचल के बैगा आदिवासी अलाव जलाकर ठंड भगा रहे हैं. सुबह ठंड का मजा लेने व सेहत बनाने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक टहलने निकल रहे हैं, ठंड बढ़ने से दुकान देर से खुल रहे हैं। सोमवार को ठंड अधिक रहने से लोग दिन भर स्वेटर, अलाव का सहारा के साथ-साथ गुनगुने धूप का आनंद लेते नजर आए.दूर-दूर से सैलानी भी ठंड का मजा लेने चिल्फीघाटी पहुंच रहे हैं।
कोहरे में नदी नाला छुपा
सुबह कड़कड़ाती ठंडी में चिल्फी के नदी, नालों के आसपास कोहरा से ढका दृश्य व ओस की बूंदे जमने का नजारा दिखाई दिया. ओस की बूंदें घासफूस पर मोती के सामान दिखता है। गौरतलब है कि घाटी में हर साल नवंबर के अंतिम सप्ताह में ओस की बूंदें जम जाती थी, लेकिन इस साल मौसम के बदलाव के चलते दिसंबर के तीसरे सप्ताह में यह नजारा देखने को मिला। बढ़ती ठण्ड को देखते हुए चिल्फीघाटी निवासीयों ने रात के समय आंगन में थाली में पानी भरकर रख दिया था जब सुबह थाली को देखे तो उसमें एक इंच बर्फ की परत जम गई थी यह नजारा वनांचलवासियों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।