महाराष्ट्र का कोल्हापुर देश का एक ऐसा हिस्सा है, जहां पर भैंस पालन पारंपरिक व्यवसाय होने के साथ ही ज्यादातर लोगों के जीवन पालन का स्त्रोत भी है। यहां पर लोग भैसों की संख्या बढ़ाने के लिए हमेशा प्रसासरत होते हैं। वहीं जिसके पास जितनी ज्यादा संख्या होती है, उसे उतना बड़ा रईस माना जाता है। यहां हर साल बफैलो रेस का भी आयोजन वृहद स्तर पर किया जाता है।
इन भैसों के नहलाने-धुलाने की समस्या को देखते हुए कोल्हापुर नगर निगम और डीपीडीसी ने कैटल सर्विस सेंटर एंड पार्लर शुरू कर दिया है। जहां पर भैंसों को शाॅवर बाथ दिया जा रहा है, तो उनकी खुबसुरती पर भी ख्याल रखा जा रहा है। इसके निर्माण में करीब 15 लाख रुपए खर्च किया गया है। इसके पीछे वजह कोल्हापुर में जानवरों को पीने के पानी से नहलाने-धुलाने पर पाबंदी है।
कोल्हापुर में जानवर धोने पर पाबंदी
कोल्हापुर में पानी की कमी तो देखते हुए जल आपूर्ति में इस्तेमाल होने वाली पानी से जानवरों को धोने पर पाबंदी है। ज्यादातर पशुपालक यहां की पंचगंगा, रंकाला और अन्य झीलों में अपने जानवरों को धोने के लिए ले जाते थे। इससे जल प्रदूषण का खतरा बना रहता है। स्थानीय लोगों की मांग के बाद नगर निगम ने शुक्रवार को अभिनव योजना के तहत मंगेशकर नगर में यह अनूठा उपक्रम शुरू किया है।
एक बार में पांच भैसों को धोने की व्यवस्था
भैसें को नहलाने के बाद पानी व्यय न हो, इसके लिए पानी को नजदीक के बगीचे तक ले जाया गया है। यहां आने वाली भैसों के गोबर का इस्तेमाल पौष्टिक खाद बनाने के लिए होगा। पार्लर में एक साथ पांच भैसें धोई जा सकती हैं। यहां एक पशु चिकित्सक भी नियुक्त किया गया है, जो पशु पालकों को सही टिप्स देगा।
भैसों के बाल काटने का इंतजाम किया गया
बता दें कि कोल्हापुर में भैसों का गर्म दूध छोटे-छोटे स्टाल पर बिकता है। इस प्रोजेक्ट को साकार रूप देने में पूर्व नगरसेवक विजय सूर्यवंशी का अहम योगदान है। सूर्यवंशी ने बताया कि जिस जगह यह सेंटर शुरू हुआ है वहां कभी खदान हुआ करती थी। भैसों को लाने से पहले उनके मालिकों को अपॉइंटमेंट लेना होगा। भैसों के पूछ के बाल को भी स्टाइलिश तरीके से काटने की व्यवस्था यहां की गई है।