जिस कांग्रेस के दम पर महाराष्ट्र में शिवसेना ने सरकार बनाई है, उसी के दोनों शीर्ष नेताओं को लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र “सामना” के संपादकीय में बड़ी बात लिख दी है। सीधे तौर पर कहा जाए तो सोनिया और राहुल गांधी को शिवसेना ने सुई चुभोने वाली बात लिख दी है। इसके बाद मधुर रिश्तों की बात बेमानी ही होगी। जाहिर है ऐसे में खटास ही पैदा होगा।
दिल्ली में जारी किसान आंदोलन के बीच शिवसेना ने UPA अध्यक्ष को बदलने की मांग की है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि UPA की कमान शरद पवार को सौंपी जानी चाहिए। वर्तमान में सोनिया गांधी UPA की चेयरपर्सन हैं। शिवसेना की इस मांग के बाद एक बार फिर शिवसेना-कांग्रेस के बीच खटास बढ़ सकती है। कुछ दिन पहले सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिख उनसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए योजनाओं को लागू करने को कहा था।
सामना में छपे संपादकीय में लिखा है कि सोनिया ने अब तक UPA अध्यक्ष की भूमिका बखूबी निभाई, लेकिन अब बदलाव करना होगा। दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों का साथ देने के लिए आगे आना होगा।
पवार सर्वमान्य नेता
संपादकीय में लिखा गया है कि कई विपक्षी दल हैं जो यूपीए में शामिल नहीं हैं। उन दलों को साथ लाना होगा। कांग्रेस का अलग अध्यक्ष कौन होगा, यह साफ नहीं है। राहुल गांधी किसानों के साथ खड़े हैं, लेकिन कहीं कुछ कमी लग रही है। ऐसे में शरद पवार जैसे सर्वमान्य नेता को आगे लाना होगा।
मोदी-शाह के आगे विपक्ष बेअसर
सामना में लिखा गया कि अभी जिस तरह की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है, वह मोदी और शाह के आगे बेअसर है। सोनिया गांधी का साथ देने वाले मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल जैसे नेता अब नहीं रहे। इसलिए पवार को आगे लाना होगा।