रायपुर। केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन विवादित कानूनों के विरोध में विपक्षी दलों की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है। भारत की मार्क्सवादी पार्टी-माकपा के कार्यकर्ताओं ने शाम को रायपुर की गलियों में रैली निकालकर कानून का विरोध किया।
प्रदर्शनकारी आंदोलनकारी किसानों को बदनाम करने की सरकारी कोशिश का भी विरोध कर रहे थे। इस बीच किसान संगठन रविवार को प्रधानमंत्री की मन के बात के संबोधन के दौरान थाली बजाकर विरोध जताने की तैयारी कर रहे हैं।
माकपा कार्यकर्ताओं ने अश्विनी नगर आदि क्षेत्रों में रैली के जरिए आम लोगों को किसान आंदोलन से जोड़ने की कोशिश की। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं। रैली के बाद मोमबत्ती जलाकर आंदोलन में दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि दी गई।
माकपा के जिला सचिव प्रदीप गभने ने कहा, सरकार आंदोलनकारी किसानों के साथ जैसा बर्ताव कर रही है वह शर्मनाक है। माकपा के राज्य सचिव मण्डल सदस्य धर्मराज महापात्र ने कहा, यह कानून देश की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
इससे सार्वजनिक राशन व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी। इसकी वजह से 75 करोड़ लोगों को कॉर्पोरेट के नियंत्रण वाले बाजार से राशन खरीदना होगा। इस बाजार में जमाखोरी और कालाबाजारी की छूट होगी। महापात्र ने कहा, यह देशविरोधी कानून है जिसे वापस लिया जाना चाहिए।
धरना स्थल पर थाली बजाकर होगा विरोध
इधर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने रविवार को प्रदेश के कई स्थानों पर सुबह 11 से 12 बजे तक थाली बजाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मन की बात” का विरोध करने की तैयारी की है। रायपुर में इसके लिए धरना स्थल पर जुटने की तैयारी है।
किसान महासंघ संयोजक मंडल के तेजराम विद्रोही, रूपन चन्द्राकर, सौरा यादव, वीरेंद्र पांडेय, गौतम बंद्योपाध्याय, मनमोहन सिंह सैलानी और डॉ. संकेत ठाकुर ने कहा, प्रधानमंत्री अपने मन की बात सुनाने की बजाए किसानों के मन बात जानने का प्रयास करें तो ज्यादा अच्छा होगा।