दिल्ली में किसान आंदोलन जारी है। इसी बीच शुक्रवार को सिंधु बार्डर पर एक दिल को छू लेने वाली घटना सामने आई है। एक बच्चा जिसे गोलगप्पे खाने थे वो आंदोलन वाली जगह पर मौजूद एक गोलगप्पे वाले के पास खड़ा था। जब आंदोलन कर रहे फायरब्रिगेड के कर्मी ने बच्चे से वहां खड़े होने का कारण पूछा तो वो दंग रह गए। क्योंकि बच्चा इतने बड़े आंदोलन के बीच गोलगप्पे खाने आया था। लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। यही हाल गोलगप्पे बेचने वाले का था।
आंदोलनकारी किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था है इसलिए ज्यादातर लोग गोलगप्पों के प्रति आकर्षित नहीं हो रहे हैं। ये बात फायरब्रिगेड कर्मी को समझ में आ गई और उन्होंने गोलगप्पे वाले का सारा माल खरीदकर पास में ही गोलगप्पों का लंगर लगा दिय़ा। बस फिर क्या था गोलगप्पे वाले को उम्मीद से ज्यादा आमदनी हो गई और बच्चा भर पेट गोलगप्पे चट कर गया।
इस तरह से किसान आंदोलन के बीच भी मानवता और इंसानियत की मिसाल देखने को मिली। क्योंकि इस लंगर ने दोनों ही तरफ के जरुरत को पूरा कर दिया। गोलगप्पे का लंगर लगाने वाले कहते हैं कि मैं चाहता तो सिर्फ बच्चे के लिए गोलगप्पों का इंतजाम कर देता। लेकिन उस गोलगप्पे वाले का क्या जो कंपकपाती ठंड में दो पैसे कमाने के लिए इस आंदोलन के बीच खड़ा हुआ है।