रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन ( संशोधन ) विधेयक को सदन में पेश किया। राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन पेश करते ही बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने सरकार को घेर्न एक का प्रयाश किया। कहा कि कोविड को एक बड़ा आधार बनाया गया है। वित्तीय प्रबंधन सरकार की पारदर्शिता को प्रदर्शित करती है। पिछले दो सालों में शहरी विकास की क्या कार्ययोजना रही? छत्तीसगढ़ को जितना पैसा शहरी विकास अभिकरण को मिला क्या उसका हिसाब भेज दिया गया? पिछली बार कहा था कि बजट अनुमान घाटा तीस फ़ीसदी के क़रीब होगा। आप जानते थे कि बजट घाटा छह फ़ीसदी होगा। इस बार आपने कहा कि राजकोषीय घाटा पाँच फ़ीसदी के क़रीब होगा, लेकिन आज की तारीख़ लिख लीजिए ये दस फ़ीसदी से ज़्यादा जाएगा।
चंद्राकर ने आगे कहा कि भूतलक्षित प्रभाव से आप क्यूँ लागू करने जा रहे हैं। दिल्ली सरकार ने आपको अनुमति दी। एफआरबीएम एक्ट में संशोधन कर सकते हैं। बार-बार कहते हैं कि चार हज़ार करोड़ रुपए छोड़कर गए थे, आज राज्य पाँच हज़ार करोड़ रुपए क़र्ज़ का ब्याज पटा रहा है। राजस्व घाटा को ख़त्म करने आप क़र्ज़ ले रहे हैं, लेकिन उसका आधार स्वस्थ्यगत विषयों को बता रहे हैं। ग्रामीण आवास, किसानों की बिजली, कोविड को लेकर आप क़र्ज़ लीजिए।
कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ का राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ये संशोधन विधेयक लाया गया है। 2003 में जब हम सरकार से गए थे, तब हम क़रीब चार हज़ार करोड़ रुपए छोड़कर गए थे, लेकिन 15 सालों बाद 42 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ छोड़कर गए थे। कम्बल ओढ़कर घी पी रहे थे। लंदन से न खाड़ी से डीज़ल मिलेगा बाड़ी से का नारा दिया था लेकिन क्या हुआ? जो कुकर्म किए है, उसका भी ब्याज हमारी सरकार पटा रही है। कोविड की वजह से कई सरकारों ने अपने राज्य में कटौती की है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोई कटौती नहीं की गई।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यदि हमें 2019-2020 में केंद्र ने राज्य के लिए जो 26 हज़ार करोड़ रुपए का बजट देने का प्रावधान किया था, यदि वह मिल गया होता तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती। मार्च के बाद राज्य को केंद्र ने जीएसटी की क्षतिपूर्ति नहीं दी है। पूरे देश में जो हालात बने है उसे लेकर इस संशोधन को लाना पड़ा है।