डेस्क। ये गाना इस वक्त राज्य की दोनों की राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस और भाजपा की जारी होने वाली सूचियों के लिए कार्यकताओं की हालत कुछ इस तरह ही दिखाई दे रही है ।
पहले पाले में सत्ता रूढ़ कांग्रेस दल सत्ता में आने के दो साल बाद भी निगम मंडलों की आधी नियुक्तियां नहीं कर पाई है। ऐसे में अपनी बारी का इन्तज़ार कर रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओँ के सब्र का बांध भी टूट रहा है। साथ ही संगठन विस्तार भी होना बाकी है , तो सत्ता दल होने के नाते संगठन में भी अपनी जगह पाने बड़े से लेकर छोटे स्तर के नेता प्रयास कर रहें हैं ।
बीजेपी का भी यही हाल
दूसरी ओर पंद्रह साल सत्ता पर बैठी रही विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर दोबारा काबिज़ होने के ख्वाब बुन रही है। इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने कुछ बदलाव किए हैं। नई प्रदेश प्रभारी की नई नियुक्ति की गई जिसमें डी. पुरंदेश्वरी को छत्तीसगढ़ का प्रभार मिला ।
प्रदेश प्रभारी के पहले दौरे के बाद से ये चर्चा थी की सत्ता से दूर होकर सुस्त बैठी पार्टी में अब जान आएगी। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। 20 दिसंबर तक पार्टी के सभी रिक्त पदों पर नियुक्तियों को पूरा करने का अल्टीमेटम देने के बाद भी प्रदेश स्तर पर कोई खास तेजी नहीं दिखी । जिलास्तर पर नियुक्तियां भी डेडलाइन खत्म हो जाने के बाद ही हो पाई।
वहीँ मोर्चा – प्रकोष्ठों की नियुक्तियां अभी भी हवा में लटक रही है।
इस मामले में भाजपा के करीबी पर्दा डालने का काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक कुछ जिलों से सूची नहीं आ पाई है। वो बात अलग है कि जिला स्तर पर पार्टी छोटे कार्यकर्ताओं को ही संतुष्ट नहीं कर पा रही है। लेकिन हालात ये है कि क्या बोलकर मामले से बचा जाए।
आपको बता दें प्रदेश प्रभारी बनने के बाद दूसरे दौरे पर डी. पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नवीन नए साल के पहले माह की 3 तारीख को तीन दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ आएंगे। जिसमे पार्टी निगम मंडल पर एक बार फिर नियुक्तियां करके कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेगी। लेकिन जिस तरह के हालात छत्तीसगढ़ में दिख रहे हैं। वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो आज के हालात देखकर यही लग रहे है कि बीजेपी चिर निद्रा में चली गई है। जिसे जगाने के लिए दिल्ली वाले नगाड़े की जरूरत है।