पणजी। गोवा सरकार के कानून विभाग ने औषधीय उद्देश्यों के लिए गांजे की खेती करने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय की निन्दा की है। कानून मंत्री नीलेश काब्राल ने मंगलवार शाम संवाददाताओं से कहा कि उनके विभाग ने गोवा में औषधीय उद्देश्यों के लिए गांजे की खेती करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग द्वारा लाया गया था।
इससे पूर्व, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा था कि गांजे की खेती की अनुमति देने के लिए प्रस्ताव सरकार के समक्ष लाया गया है, लेकिन मामले में अभी कोई स्वीकृति नहीं दी गई है। मुख्यमंत्री के बाद काब्राल का बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि उनके विभाग ने राज्य में गांजे की सीमित खेती के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। भाजपा शासित राज्य के विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के इस कदम की निन्दा की है।
विपक्ष का सरकार पर निशाना
गोवा कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ पणजीकर ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा सरकार काफी निचले स्तर तक गिर गई है। सरकार के कदम पूरी तरह अवैध हैं। उन्होंने कहा कि राज्य जब मादक पदार्थों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए संघर्ष कर रहा है, तब ऐसे में सरकार का यह कदम मादक पदार्थों को और बढ़ावा देगा। पणजीकर ने मांग की कि सरकार इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करे।
1985 से पहले गोवा में थी अनुमति
गोवा के कानून मंत्री नीलेश कैबरल ने कहा, प्रस्ताव के अनुसार, औषधीय उद्देश्य के लिए भांग की नियंत्रित खेती की अनुमति देने की संभावना है, ताकि दवा कंपनियों को प्राकृतिक दवा बेची जा सके। कानून मंत्री ने कहा कि प्रस्ताव के बारे में विवादास्पद कुछ भी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि 1985 में नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम लागू होने से पहले, गोवा में चरस और गांजा कानूनी रूप से उपलब्ध थे। मंत्री ने कहा, ‘अमेरिका सरकार की लॉबिंग के कारण एनडीपीएस एक्ट भारत में पेश किया गया था, जिसके बाद दवा क्षेत्र की ओर से दबाव डाला जा रहा है।