रायपुर। प्रदेश की राजधानी रायपुर में एम्स अस्पताल की सुविधा तो है, लेकिन आपात स्थिति में उपचार की आस में पहुंचने वाले मरीजों को बेड तक नसीब नहीं हो रहा है। उनके साथ गए परिजनों को खड़े-खड़े रात गुजारनी पड़ रही है।
आलम यह है कि मरीजों को बेड की उपलब्धता नहीं होने के बावजूद उपचार देने का हवाला देते हुए स्ट्रेचर पर ही लेटा दिया जाता है। घंटों तक अपने मरीज को बेड नहीं मिलता देख, परिजन हताशा के मारे या तो एम्स प्रबंधन की स्ट्रेचर नीति को आत्मसात कर मौन रहता है, या फिर खुद की गाढ़ी कमाई की निजी अस्पतालों के सुपुर्द करने के लिए मजबूर हो कर खुद ही चला जाता है।
हद तो यह है उपचार की आस ज्यादातर मरीजों को बेड की अनुपलब्धता का हवाला देकर या तो लौटा दिया जाता है, या फिर कहीं और रेफर कर दिया जाता है।
कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ को एम्स संस्थान से जैसी उम्मीदें थीं, वह पूरी होते कहीं नजर नहीं आती।
छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा की वास्तविक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। डीकेएस को सुपरस्पेशलिटी के तौर पर खोलने की बात भी कुल मिलाकर बेमानी ही साबित हो रही है। ऐसे में हर किसी की आस एम्स से जुड़ी थी, लेकिन लोगों को यहाँ पर भी निराश ही होना पड़ रहा है।
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