फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वायरस की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिल गई है. डब्लूएचओ ने इमरजेंसी यूज की इजाजत दी है। डब्लूएचओ ने कहा कि वह दुनियाभर में स्थित अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिए वहां के देशों से इस वैक्सीन के लाभ के बारे में बात करेगा। वहीं, भारत में आज ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है। आज अधिकारियों की मीटिंग होनी है।
इसी के साथ अब दुनियाभर के देशों में फाइजर की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल का रास्ता खुल गया है। डब्लूएचओ ने गरीब देशों तक कोरोना वैक्सीन को जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए इमरजेंसी यूज लिस्टिंग प्रॉसेस को भी शुरू कर दिया है। इस सूची में शामिल होने के बाद किसी भी कोरोना वैक्सीन को दुनियाभर के देशों में आसानी से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने फाइजर वैक्सीन की समीक्षा के बाद कहा कि इससे सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए अवश्य ही मानदंड मिलना चाहिए। फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और एक दर्जन अन्य देशों में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
फाइजर की कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटेन ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इसके बाद अमेरिका ने भी इस वैक्सीन को अपनी इजाजत दे दी। हालांकि, अमेरिका में फाइजर की वैक्सीन लगाने के कुछ ही दिन बाद एक नर्स के कोरोना पॉजिटिव होने की घटना सामने आई थी। 45 साल के पुरुष नर्स ने बताया कि उन्हें 18 दिसंबर को कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी। छह दिन के बाद उनमें कोरोना के लक्षण सामने आ गए।
एक्सपर्ट्स ने इसपर कहा था कि वैक्सीन लगाए जाने के कुछ दिन बाद कोरोना पॉजिटिव होने की घटना अप्रत्याशित नहीं है। अमेरिका के सैन डियागो के संक्रामक रोग विशेषज्ञ क्रिस्टियन रैमर्स ने बताया कि वैक्सीन ट्रायल से यह पता चल चुका है कि खुराक लेने के 10 से 14 दिनों के बाद ही व्यक्ति में इम्यूनिटी तैयार होती है। वहीं, पूरी सुरक्षा के लिए दूसरी खुराक भी लेनी होती है।