बीते 11 महीनों से कोरोना से जारी जंग अभी भी समाप्त नहीं हुई है, लेकिन राहत मिलने लगी है। सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा बनाये जा रहे कोविशिल्ड वैक्सीन को अंततः नए साल के पहले ही दिन आपात मंजूरी मिल गई। इस विषय पर एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि नए साल की शुरुआत अच्छी हुई है, तो बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है।
एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नए साल के साथ ही यह बहुत ही अच्छी खबर है। अब हमारा अगला कदम होगा कि वैक्सीन अपने देश में हम लोगों को कैसे लगाएंगे। हम उम्मीद करते हैं कि जैसे ये वैक्सीन अप्रूव हुई है वैसे ही जो दो वैक्सीन और फाइनल फेज में हैं वो भी अप्रूव हो जाएंगी, जिससे नंबर ऑफ डोज बढ़ जाएंगे और इस साल सब लोगों को वैक्सीन लगाने में सहुलियत हो जाएगी।
वैक्सीन पर चर्चा करते हुए गुलेरिया ने कहा कि जब भी हमें वैक्सीन बनानी होती है तो हमें तीन चींजें देखनी होती है। एक तो एंटीजेन जिसे हम वायरस से लेते हैं और जो हमारे शरीर में एंटीबॉडीज डेवलप करता है। कोरोना वायरस की बात करें तो इसका जो एंटीजेन है वो स्पाइक प्रोटीन है तो स्पाइक प्रोटीन का एक हिस्सा लिया जाता है जिससे वो किसी व्यक्ति के बॉडी में आएगा तो एंटीबॉडीज बनाएगा। दूसरा है प्लेटफॉर्म जिसके जरिए ये अंदर जा सकता है। नया प्लेटफॉर्म जो है जिसे हम मैसेंजर आरएनए प्लेटफॉर्म कहते हैं वो हमारे शेल को स्टुमिलेट करता है कि वो स्पाइक प्रोटीन बनाए जिससे एंटीबॉडीज बनती हैं।
अपनी बात जारी रखते हुए डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि तीसरा पार्ट है रूट ऑफ एडिमिनिस्ट्रेशन और कितने डोज की जरूरत है। तो कई वैक्सीन जो अभी तक हमारे पास आई हैं वो इंट्रामस्क्युलर हैं लेकिन कुछ वैक्सीन जो अंडर ट्रायल हैं वो नेजल स्प्रे पर भी हैं ताकि इंजेक्शन न लगाना पड़े। या फिर उनके डोज पर भी काम हो रहा है ताकि दो डोज की जगर एक ही डोज हो पाए, लेकिन अभी तक जो वैक्सीन अप्रूवल के स्टेज पर हैं वो दो डोज वाली हैं और इंट्रामस्क्युलर हैं। लेकिन हो सकता है कि आगे कुछ ऐसी वैक्सीन भी आ जाएं जिन्हें देने में आसानी हो। गुलेरिया ने आगे कहा कि हम जो वैक्सीन इस्तेमाल करेंगे वो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बनेगी।