रायपुर। शासन के निर्देश पर वन विभाग ने लकड़ी की तस्करी रोकने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी है। राजधानी रायपुर में शनिवार को पड़े छापे में 35 लाख रुपए से ज्यादा की लकड़ी जब्त की गई थी। इसमें एक ट्रक रक्त चंदन भी है। चीन के मंदिर इसी लकड़ी से बनते हैं और अफसरों को अंदेशा है कि वहां भेजने के लिए ही यह लकड़ी यहां इकट्ठा की गई होगी। पिछले दो दिन में तिल्दा और आसपास छापे मारकर 4 ट्राली और एक ट्रक अवैध लकड़ी पकड़ी गई है। इसकी कीमत 10 लाख से ऊपर बताई जा रही है। जंगलों से लकड़ी तस्करी की शिकायतों के बाद यह छापेमारी शुरू की गई है। इसकी माॅनीटरिंग वनमंत्री मोहम्मद अकबर और पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी सीधे कर रहे हैं। अफसरों ने बताया कि रायपुर शहर के बीरगांव में उमियां मार्केट से रविवार को सौ घन मीटर लकड़ी जब्त की गई। जबकि तिल्दा फारेस्ट सर्कल में 5 गाड़ियों में 10 लाख से ऊपर की लड़की जब्त हुई है। बिरगांव इलाके में ओड़िशा की ओर से लकड़ी की बड़ी खेप आने की सूचना सीसीएफ जेआर नायक को मिली थी। उस आधार पर रायपुर रेंजर फिरोज बेग की टीम ने भनपुरी में एसके गुप्ता के यार्ड में छापा मारकर लगभग दस ट्रक ‘‘100 घनमीटर’’ लकड़ी जब्त कर ली। इसमें इसमें रक्त चंदन, सरई, फाफड़ा, कुर्रो, खैर और तेंदू की लकड़ी है। वन विभाग के अफसरों को एसके गुप्ता ने बताया कि संजय छाबड़िया ने यार्ड को किराए पर ले रखा है। वही इन लकड़ियों के संबंध में कुछ बता सकता है। संजय छाबड़िया ने भी इसकी पुष्टि की है। अफसरों ने छाबड़िया से लकड़ी के कागजात दिखाने के लिए कहा है।
वन विभाग के अफसरों के मुताबिक रक्त चंदन यानी लाल चंदन का उपयोग छत्तीसगढ़ में नहीं के बराबर है। चीन के अधिकांश मंदिर रक्त चंदन की लकड़ी से ही बने हैं। माना जाता रहा है कि वहां डिमांड का बड़ा हिस्सा भारत के रक्त चंदन कारोबारियों द्वारा भेजा जाता है। इसीलिए अनुमान लगाया गया है कि यहां मिले रक्त चंदन के मोटे लट्ठे वहीं भेजे जाने वाले थे। प्रथमदृष्टया यह बात आई है कि रक्त चंदन ओड़िशा से तस्करी करके यहां लाया गया होगा। लेकिन यह भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं यह ओड़िशा से लगे छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों से काटी गई है या नहीं।