बालोद के पास कोरगुड़ा से एक अंधविश्वास का मामला सामने आया है ,जिसमें मिथिलेश कुमार देवांगन नामक एक 32 वर्षीय युवक की तबीयत खराब हुई । उसका इलाज करने के लिए परिजनों और ग्रामीणों ने गोबर को पानी में घोल कर पिला दिया और उसके ठीक होने का इंतजार करते रहे। लेकिन मिथलेश की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई। इसके बाद मिथलेश को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया । जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जब ये पता किया गया कि आखिर उस युवक गोबर पानी क्यों पिलाया गया था और उसे क्या बीमारी हुई थी । तब परिजनों ने बताया कि उस युवक ने कनेर का फल खा लिया था। जिसे निकालने के लिए गोबर का पानी पिलाया गया।
अंधविश्वास नहीं इलाज में करें विश्वास
मृतक मिथिलेश कुमार देवांगन खेती किसानी के अलावा बुनकर का काम भी करता था। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ.दिनेश मिश्र ने कहा कि ग्रामीण अंचल में लोग अक्सर अंधविश्वास में पड़कर उपचार के लिए अजीबोगरीब तरीके अपनाते हैं । जिससे कई बार मरीज की तबीयत सुधरने की बजाय और बिगड़ जाती हैं, अगर किसी भी व्यक्ति ने किसी विषैले पदार्थ का सेवन कर लिया है तो उसको समय रहते अस्पताल पहुंचाना चाहिये. ताकि पीड़ित की जान बचाई जा सके ।
”जब अंधविश्वास और भ्रम के कारण सही ढंग से इलाज नहीं हो पाता और ऐसी घटनाएं सामने आती हैं ग्रामीण क्षेत्रों में मान्यता है ,अगर कोई व्यक्ति कोई जहरीले पदार्थ का सेवन करता है, तो उसे गोबर पानी का घोल पीने से उल्टी हो जाएगी और बाहर आ जाएगा लेकिन आम तौर पर सफल नहीं होता ,इस मामले में भी जब मरीज को अस्पताल लाया गया तो उसके मुंह के पास भी गोबर चिपका हुआ था जिसे देख कर पूरा माजरा समझ में आया। ग्रामीणों को अंधविश्वास एवं भ्रम में नही पड़ना चाहिए और किसी भी बीमारी में उपचार के लिए नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत सम्पर्क करना चाहिए.”
डॉ दिनेश मिश्र ,अध्यक्ष अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति