रायपुर। कोरोना काल में मकर संक्रांति पर पहले जैसी रौनक तो कहीं नहीं नजर आ रही है। बावजूद इसके भी खारुन नदी पर महादेव घाट में मकर संक्रांति पर रौनक रही।
यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने स्नान, दर्शन और दान का पुण्यलाभ उठाया। सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। इस बार मकर राशि में सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, गुरु और शनि भी हैं। इन पांच ग्रहों का योग पिछले 200 साल में नहीं बना। साथ ही पांच राजयोग बन रहे हैं। इनमें सूर्य का उत्तरायण होना बहुत शुभ माना जा रहा है। मकर संक्रांति पर मंगल, शनि, बृहस्पति और चंद्रमा से रुचक, शश, गजकेसरी, दान और पर्वत नाम के राजयोग बन रहे हैं। इनमें तीर्थ स्नान, पूजा और दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। इसके लिए सुबह 8:29 से शाम को सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहेगा। मकर संक्रांति धार्मिक पर्व होने के साथ ही एक खगोलीय घटना भी है। जिससे धरती के उत्तरी गोलाद्र्ध में सूर्य के आने से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है यानी उत्तरी गोलार्ध में सूर्य 24 डिग्री आगे बढ़ चुका होता है। इस कारण धरती पर सूर्य का ज्यादा असर पडऩे लगता है। इससे दिन के घंटे बढऩे लगते हैं।
ज्योतिष ग्रंथों में मकर एक राशि है और एक काल्पनिक रेखा भी है। जो भूमध्य रेखा से करीब साढ़े 23 डिग्री उत्तर की और काल्पनिक रूप से मौजूद है। जब सूर्य धनु से मकर राशि में आता है तो उसकी किरणें मकर रेखा पर सीधे गिरती हैं। इसलिए भारतीय उप महाद्वीप में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। जिससे सूरज की किरणों से इन जगहों के लोगों में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और पेड़-पौधे भी जल्दी विकास करते हैं। ये ही वजह है कि इस मौसम में अनाज और धान उगता है।