ऑनलाइन कर्ज मुहैया कराने वाले प्लैटफॉर्म और मोबाइल ऐप की निगरानी मांग पर जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ऑनलाइन कर्ज देने वाले प्लैटफॉर्म लोन के बदले अधिक ब्याज दर लोगों से वसूलते हैं।
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने सरकार और आरबीआई को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 19 फरवरी से पहले जवाब देने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने बेंच को बताया कि ऑनलाइन कर्ज देने वाले प्लैटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स ने लोगों के लिए एक खतरा पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इन खतरों के प्रति आरबीआई ने भी एक प्रेस रिलीज जारी कर आम लोगों को इन प्लैटफॉर्म्स के बारे में आगाह किया है। प्रशांत भूषण ने बेंच को बताया कि ऑनलाइन कर्ज मुहैया कराने वाले ऐप्स को नियमित करने और लोगों के हितों की रक्षा करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में करीब 300 से अधिक ऐप हैं जो लोगों को तत्काल लोन मुहैया कराने का दावा करते हैं। याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन कर्ज देते वक्त लोगों से अधिक ब्याज वसूला जाता है, ऐसे में ब्याज दर भी निर्धारित होने चाहिए।
बेंच को बताया गया कि करीब 300 ऐप के माध्यम से लोगों को 1500 से लेकर 30 हजार रुपये तक 7 से 15 दिनों के लिए कर्ज दिया जा रहा है, लेकिन लोन शुल्क के नाम पर 35 से 45 फीसदी रकम काट ली जा रही है। वकील प्रशांत भूषण ने बेंच को बताया कि यह एक तरह से लोगों के साथ लूट है और इसे नियमित करने की जरूरत है।