साथ जीएंगे…साथ मरेंगे….ये कसम आपने फिल्मों में सुनी होगी। लेकिन यदि असल जिंदगी में ये कसम सच हो जाए तो आप क्या कहेंगे। हम जिस खबर को आपको बताने जा रहे हैं। उसे पढ़ने के बाद शायद आप सोचे कि ऐसा भी होता है क्या। लेकिन ये सच है। खबर हरियाणा के हिसार की है जहां एक गांव के लड़के रोशनलाल को अपनी ही गांव की ऊंची जाति की लड़की से प्यार हो जाता है।लेकिन जात के कारण दोनों ही परिवार वालों को ये रिश्ता नहीं जमता। समाज में बुराई ना हो इसलिए पंचायत बुलाई जाती है ताकि दोनों को समझाया जा सके। पंचायत दोनों को फैसला सुनाता है कि दोनों अलग-अलग हो जाएं। लेकिन प्यार को कैसे छोड़ा जा सकता था। लिहाजा रोशन ये फैसला करता है कि उन दोनों को गांव छोड़ना पड़ेगा। दोनों अपने गांव को हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं और मंदिर में शादी करते हैं। शादी के बाद लड़की के परिवार वाले उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं और दोबारा कभी गांव में आने को मना कर देते हैं। बात खत्म हो जाती है।आप सोच रहे होंगे कि मामला ऑनर किलिंग का है,लेकिन ऐसा नहीं है।
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कहानी में आ जाता है नया मो़ड़
शादी के बाद रोशन और उसकी प्रेमिका से पत्नी बनी जीवनसाथी नया जीवन शुरु करते हैं। शादी को 2 साल बीत जाते हैं। सब कुछ अच्छा चल रहा है। इसी बीच एक नई खुशखबरी घर आती है। कि रोशन पिता बनने वाला है। रोशन के लिए ये खबर ऐसी थी जिसे शब्दों में शायद बयां कर पाना मुश्किल है। अब वो अपनी पत्नी की देखभाल पहले से भी ज्यादा अच्छे से करना शुरु कर देता है। ताकि आने वाला बच्चा स्वस्थ हो । आखिरकार वो दिन आ ही जाता है जब बच्चे के आने का समय़ होता है। रोशन अस्पताल में पत्नी को एडमिट करवाकर खाना लेने के लिए बाहर जाता है।
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किस्मत को कुछ और ही था मंजूर
अस्पताल से घर खाना लेने जाने के लिए निकला रोशन वापस अस्पताल कभी नहीं लौटता। रोशन जिस वक्त खाना लेकर आ रहा होता है तो उसे पीछे से आता एक ट्रक उसे जोरदार टक्कर मारता है। जिससे मौके पर ही रोशन की मौत हो जाती है। इस बात से अनजान उसकी पत्नी अस्पताल में अपने पति का इंतजार करते-करते लेबर रूम में चली जाती है। रात ठीक बारह बजे रोशन की पत्नी एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। बच्चे को जन्म देने के बाद अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है। पत्नी को अग्रोहा मेडिकल कालेज के आईसीयू में भर्ती कराया जाता है। लेकिन धीरे-धीरे करके उसकी सांसें साथ छोड़ने लगती है। आखिरकार 3 घंटे के अंदर पत्नी का शरीर साथ छोड़ देता है। आनन-फानन में मेडिकल स्टाफ नवजात बच्चे को अपनी कस्टडी में लेकर उसकी देखभाल शुरु कर देते हैं। इस दर्दनाक घटना के बाद रोशन के पिता बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे आते हैं।