पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोवीशील्ड को जल्द ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है। कोवीशील्ड को 3 जनवरी को भारत में ड्रग रेगुलेटर ने इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। 16 जनवरी से भारत में शुरू हुए वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने SII से कोवीशील्ड के 1.1 करोड़ डोज की डील की है। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि SII रैपिड असेसमेंट के लिए फुल डेटा सेट्स जल्द उपलब्ध कराएगा। इसके आधार WHO तय करेगा कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को इंटरनेशनल स्तर पर इस्तेमाल की इजाजत दी जा सकती है या नहीं।
UK में मिली थी सबसे पहले इजाजत
इस वैक्सीन को सबसे पहले यूके मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने 29 दिसंबर को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। इसके बाद भारत, ब्राजील, अर्जेंटीना, डोमिनिकन रिपब्लिक, अल सल्वाडोर, मैक्सिको और मोरक्को भी इस वैक्सीन को मंजूरी दे चुके हैं। आने वाले हफ्तों में कोवीशील्ड के लिए यूरोपीयन मेडिसिंस एजेंसी (EMA) से अप्रूवल पाने की कोशिश होगी। एस्ट्राजेनेका ने इसके साथ ही WHO से इमरजेंसी यूज लिस्टिंग की भी कोशिशें तेज कर दी है। इससे कम आय वाले देशों में वैक्सीन उपलब्ध कराने का रास्ता खुल जाएगा।
क्या है WHO का इमरजेंसी यूज लिस्टिंग
- WHO ने 31 दिसंबर को कोविड-19 mRNA वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए लिस्ट किया था।
- इससे फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन ग्लोबल हेल्थ एजेंसी से इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी पाने वाली पहली वैक्सीन बन गई थी।
- WHO की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) से रेगुलेटरी अप्रूवल प्रोसेस को स्पीड मिल जाती है और देश इम्पोर्ट और वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में आगे बढ़ सकते हैं।
- इससे यूनिसेफ और पैन-अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन भी जरूरतमंद देशों के लिए वैक्सीन खरीदना शुरू कर सकते हैं।