केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation, CDSCO) की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने भारत बायोटेक की नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन के पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी देने की सिफारिश की है। हालांकि इस मसले पर अभी अंतिम फैसला भारतीय दवा महानियंत्रक (Drugs Controller General of India, DCGI) को लेना है लेकिन इस वैक्सीन को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञ बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बच्चे हो सकते हैं कोरोना का वाहक
विशेषज्ञ इस वैक्सीन को बच्चों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं मान रहे हैं। दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (AIIMS Director, Randeep Guleria) ने बुधवार को कहा कि कोरोना के खिलाफ नेजल वैक्सीन आसानी से स्कूली बच्चों को दी जा सकेगी। भले ही स्कूली बच्चों में कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा कम होता हो लेकिन ये दूसरे लोगों को संक्रमण फैला सकते हैं यानी ये कोरोना के वाहक साबित हो सकते हैं। ऐसे में यह वैक्सीन कोरोना संक्रमण की रोकथाम में बेहद मददगार साबित होगी।
माता-पिता या दादा-दादी में फैला सकते हैं संक्रमण
प्रख्यात पल्मोनोलॉजिस्ट (AIIMS Director, Randeep Guleria) ने यह भी कहा कि कोरोना के खिलाफ अब तक जो भी वैक्सीन आई हैं वे बच्चों के लिए अनुमोदित नहीं हैं। बच्चों पर इन वैक्सीन का अब तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है। हालांकि बच्चों पर वैक्सीन का परीक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल किए जा रहे हैं। डॉ. गुलेरिया (AIIMS Director, Randeep Guleria) ने कहा कि एक बार जब बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाना शुरू कर देते हैं और संक्रमण को यदि घर लाते हैं तो वे इसे अपने माता-पिता या दादा-दादी में फैला सकते हैं।
बच्चों के लिए बहुत आसान होगा नेजल टीका
एक सवाल के जवाब में डॉ. गुलेरिया (AIIMS Director, Randeep Guleria) ने कहा कि कोरोना के खिलाफ बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द आ सकती है। भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन के अनुमोदन के लिए कोशिशें कर रहा है। इस तरह का नेजल टीका बच्चों को दिया जाना बहुत आसान होगा क्योंकि यह एक स्प्रे है। यदि इस वैक्सीन की मंजूरी मिल जाती है तो इससे टीकाकरण भी बेहद आसान होगा। महज आधे घंटे में ऐसा टीका पूरी कक्षा के बच्चों को दिया जा सकता है।
कोरोना को हरा चुके लोगों को कब लगवाना चाहिए टीका
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि टीकाकरण संक्रमण से जंग जीत चुके लोगों के लिए भी जरूरी है। ऐसे लोगों को स्वस्थ्य होने के चार से छह हफ्ते बाद वैक्सीन लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी वजह से शरीर के अंदर एंटी बॉडीज की संख्या कम हो गई है तो वैक्सीन लगने के बाद इसमें इजाफा हो जाएगा। दरअसल, एक कार्यक्रम में गुलेरिया से एनडीआरएफ कर्मचारियों ने पूछा कि क्या वैक्सीन लेना उस व्यक्ति के लिए भी जरूरी है जो संक्रमण से ठीक हो चुका है। मालूम हो कि देश में दो वैक्सीन के जरिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
गेमचेंजर साबित हो सकती है नेजल वैक्सीन
वहीं भारत बायोटेक के मुताबिक नेजल वैक्सीन इंसानी शरीर के भीतर संक्रमण को तो रोकेगी ही साथ ही संक्रमण के प्रसार पर भी लगाम लगाएगी। भारत बायोटेक का कहना है कि चूहे पर ट्रायल के दौरान यह प्रभावशाली पाई गई है। वहीं नीति आयोग के सदस्य और कोरोना वैक्सीन पर गठित टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल का कहना है कि यदि नेजल वैक्सीन का परीक्षण सफल रहता है तो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में यह ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकती है। इस वैक्सीन का परीक्षण देश के कई क्षेत्रों में किया जाएगा। यह एक डोज की वैक्सीन होगी।