डेमोक्रेट जोसेफ आर बाइडेन जूनियर यानी जो बाइडेन अमेरिकी इतिहास के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बन गए। वे 78 साल के हैं। कमला हैरिस ने बुधवार रात अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। 56 साल की कमला हैरिस ने इसी के साथ इतिहास रच दिया। वे पहली महिला, अश्वेत और भारतवंशी उपराष्ट्रपति होंगी।
इनॉगरल स्पीच में बोले बाइडेन- उस प्रेसिडेंट को भी सलाम, जो यहां नहीं आए
बाइडेन ने अपनी इनॉगरल स्पीच में कहा, ‘यह अमेरिका का दिन है। यह लोकतंत्र का दिन है। यह उम्मीदों का दिन है। आज हम किसी उम्मीदवार का जश्न मनाने नहीं जुटे हैं, हम लोकतंत्र के लिए जुटे हैं। हमने एक बार फिर सीखा है कि लोकतंत्र बेशकीमती है और नाजुक भी है, लेकिन लोकतंत्र यहां कायम है।’
वो बोले, ‘कुछ दिन पहले ही यहां पर हुई हिंसा ने कैपिटल की बुनियाद को हिला दिया था, जबकि दो सौ साल से सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण हो रहा था। मैं दोनों दलों के पूर्व राष्ट्रपति का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा। उस प्रेसिडेंट को भी सलाम, जो यहां नहीं आए, लेकिन उन्हें अमेरिका की सेवा करने का मौका मिला।’
उन्होंने कहा, ‘हम अच्छे लोग हैं। हमें अब भी लंबा रास्ता तय करना है। हमें बहुत कुछ करना है। हमें बहुत कुछ बनाना है, बहुत कुछ हासिल करना है। अभी जैसा मुश्किल वक्त है, वैसा अमेरिकियों ने पहले नहीं देखा। ऐसा वर्ल्ड वॉर-2 में भी नहीं हुआ। लाखों नाैकरियां चली गईं। लाखों कारोबार बंद हो गए। चरमपंथ, व्हाइट सुप्रीमेसी, आतंकवाद जैसी चीजों को हम शिकस्त देंगे। अमेरिका का भविष्य तय करने के लिए शब्दों से भी आगे जाकर बहुत कुछ करने की जरूरत होती है। एकजुट रहना, एकता बनाए रखना जरूरी है।’
बाइडेन बोले, ‘पूरे अमेरिका को एकजुट रखना ही मेरी आत्मा की कोशिश है। मैं हर अमेरिकी इस मकसद से जुड़ने की अपील करता हूं। गुस्सा, नफरत, चरमपंथ, हिंसा, नाउम्मीदी को हम एकजुट होकर हरा सकते हैं। हम इस वायरस से भी उबर सकते हैं। हम इंसाफ को कायम रख सकते हैं। हो सकता है कि जब मैं यूनिटी की बात कर रहा हूं तो यह कुछ लोगों को मूर्खता लगे, लेकिन अमेरिका लगातार भाई-भतीजावाद, नस्लवाद से जूझता रहा है। जीत हमेशा पक्की नहीं होती। हमने 9/11 देखा। लंबा संघर्ष देखा।’
US प्रेसिडेंट ने कहा, ‘इतिहास बताता है कि एकता ही कायम रखनी चाहिए। हम एक-दूसरे का सम्मान करें। एकता के बिना अमन नहीं आएगा। इसके बिना तरक्की नहीं होगी। देश नहीं बचेगा, सिर्फ अराजकता होगी। हम संकट में हैं। हमारे सामने चुनौती है। यह मोमेंट यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका है। इसे मानेंगे तो हम कभी नाकाम नहीं होंगे। इसलिए आज इस वक्त, इस जगह पर आइए हम नए सिरे से शुरू करेंगे। आइए हम एक-दूसरे की बात सुनें। एक-दूसरे का सम्मान करें। हर असहमति के लिए जरूरी नहीं कि जंग ही छेड़ दी जाए। तथ्यों को तोड़ना-मोड़ना या अपने हिसाब से गढ़ना जरूरी नहीं है। अमेरिका जो अभी है, उससे भी बेहतर हो सकता है। 108 साल पहले हजारों महिला प्रदर्शनकारियों ने यहीं अाकर राइट टू वोट मांगा था। आज यहां पर कमला हैरिस के तौर पर पहली महिला उपराष्ट्रपति हैं।’