नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेषज्ञ समिति की आज बैठक होगी। इसमें किसान प्रतिनिधियों के साथ समिति के सदस्य चर्चा करेंगे। समिति में चार सदस्य थे, लेकिन किसान नेता भूपिंदर सिंह मान के इस्तीफे के बाद अब इसमें तीन सदस्य रह गए हैं। अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के अलावा इसमें प्रमोद कुमार जोशी और शेतकारी संगठन के नेता अनिल घनवट शामिल हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी की मंगलवार को पहली बैठक हुई थी।
कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के गतिरोध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को समिति का गठन किया था। घनवट के अलावा कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी समिति के अन्य सदस्य हैं। किसान नेता भूपिंदर सिंह मान को भी इसका सदस्य बनाया गया था। लेकिन, उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। किसान संगठन इस समिति का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसके सदस्य पहले ही कृषिष कानूनों का समर्थन कर चुके हैं।
दूसरी तरफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी में बदलाव की मांग को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के अनुसार समिति के ऊपर कोई सवाल नहीं उठा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह कमेटी यथावत बनी रहेगी और तय समय पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उसने कमेटी को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है, बल्कि यह शिकायतें सुनेगी तथा सिर्फ रिपोर्ट देगी।
इस बीच केंद्र ने 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित रैली पर रोक की मांग वाली अपनी याचिका वापस ले ली। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इसे पुलिस का मामला बताया और कहा कि कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देगा। बता दें कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी को नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। इशके साथ ही केंद्र और दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच गतिरोध खत्म करने के सिलसिले में चार सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया था।