चंडीगढ। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन में मारे गए 76 लोगों के परिवारों के साथ सहानुभूति व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने इन किसानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा और परिवार में से किसी एक को नौकरी देने का एलान किया है।
आज अपने फेसबुक लाइव कार्यक्रम आस्क द कैप्टन में मुख्यमंत्री ने यह एलान किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों से सलाह किए बगैर ये कानून बना दिए हैं जबकि खेती राज्य का विषय है और केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इसी वजह से पिछले चार महीनों से ठंड, बारिश की परवाह न किए बिना किसान वहां अपनी जमीनों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं।
कैप्टन ने आगे कहा कि इन तीनों कानूनों को लागू करके केंद्र सरकार मंडियों को तोड़ना चाहती है और एमएसपी सिस्टम को बंद करना चाहती है। पहले ही सिर्फ दो फसलों पर ही एमएसपी मिलता है। अगर इसे भी खुले बाजार के हवाले कर दिया तो इसका हाल मक्की समेत अन्य फसलों की तरह हो जाएगा।
कहा- पीएम की कमेटी में नहीं शामिल था पंजाब
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट किया कि तीनों कानून बनाने के लिए पीएम ने एक कमेटी बनाई लेकिन पंजाब को शामिल नहीं किया। उन्हाेंने कहा, पहली मीटिंग में हमें नहीं बुलाया। मैंने उन्हें चिट्ठी लिखी कि 40 फीसदी खाद्यान्न देने वाले पंजाब को आपने इसमें शामिल क्यों नहीं किया। तब हमें भी इसका सदस्य बनाया गया। दूसरी मीटिंग में वित्तीय मुद्दे थे जिसमें भाग लेने के लिए वित्तमंत्री मनप्रीत बादल शामिल हुए।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा, विपक्षी पार्टियां शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) आरोप लगा रही हैं कि मैंने इन कानूनों के ड्राफ्ट को मंजूरी दी। अब तो किसी ने आरटीआइ में ये जानकारी लेकर मीडिया में रिपोर्ट भी दे दी है। इससे शिअद और आम आदमी पार्टी का झूठ बेनकाब हो गया है। एनआइए की ओर से समन किए गए 40 लोगों के बारे में आए सवाल पर कैप्टन ने कहा, प्यार से जिसे मर्जी मनवा लो लेकिन जोर जबरदस्ती करोगे तो पंजाबी दबाव में आने वाले नहीं।