जयपुर में सिल्वर आर्ट ग्रुप, चैरडिया ग्रुप और गोकुल कृपा पर दो दिन से चल रही आयकर छापों की कार्रवाई में कुल 1400 करोड़ रुपए की अघोषित आय का खुलासा हुआ है। इस कार्रवाई में चैंकाने वाली बात ये रही कि ज्वेलरी व्यवसायी के घर पर आयकर विभाग को एक सुरंग नुमा तहखाना मिला है, जिसमें 15 बोरे आर्ट ज्वेलरी व एंटीक सामान और लेनदेन व संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। इस ज्वेलरी व्यवसायी के यहां 525 करोड़ के अघोषित लेनदेन का पता चला है। वहीं करीब सवा सौ करोड़ रुपए का ऋण बाजार में देकर ब्याज के रूप में बड़ा मुनाफा कमाने की बात सामने आई है।
सिल्वर आर्ट ग्रुप का 525 करोड़ रु. का अघोषित लेनदेन सामने आया आयकर विभाग के अनुसार जौहरी समूह सिल्वर आर्ट ग्रुप कीमती पत्थरों, आभूषणों, प्राचीन वस्तुओं, हस्तशिल्प, कालीन, वस्त्र का व्यवसाय करता है। तलाशी अभियान के दौरान, एक गुप्त सुरंग का पता चला। इसमें पहुंचने पर सोने और चांदी के आभूषण, एंटीक सामान, आर्ट ज्वेलरी के अलावा बेनामी संपत्ति से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। इस गुप्त कक्ष से 15 बोरे मिले हैं।
जौहरी ने शुरुआती पूछताछ में किसी भी स्टॉक रजिस्टर के रखरखाव से इनकार किया लेकिन गुप्त सुरंग तक विभाग की टीम पहुंची तो प्रत्येक आइटम पर अल्फा-न्यूमेरिक सीक्रेट कोड में वास्तविक बिक्री मूल्य लिखा था । टीम कोड को क्रैक करने पर काम कर रही है। सुरंग से दो हार्ड-डिस्क और पेन-ड्राइव भी मिलीं। जिनमें कोड के रूप में विभिन्न वस्तुओं का विवरण था।
जौहरी समूह ने विभिन्न व्यक्तियों को नकद ऋण दिया था, जिसकी राशि 122.67 करोड़ रुपए है। उस पर बेहिसाब ब्याज भी कमाया है। समूह ने अपने कर्मचारियों और कारीगरों के बैंक खातों के माध्यम से नकद आय भी पेश की थी। समूह में अब तक 525 करोड़ के अघोषित लेनदेन का पता चला है।
650 करोड़ रु. का अघोषित लेनदेन सामने आया
इसी तरह एक प्रमुख बिल्डर और कॉलोनाइजर पर आयकर पड़ताल में बेहिसाब रसीदें, अघोषित संपत्तियों की डिटेल, नकद ऋण और एडवांस, के अलावा लेनदेन का रिकार्ड जब्त किया गया। इस समूह का कुल लेनदेन 650 करोड़ रुपए आंका गया है।
25 करोड़ के लेनदेन का पता चला
तीसरा समूह जयपुर का एक प्रसिद्ध बिल्डर और डेवलपर है जो फार्म हाउस, टाउनशिप और आवासीय एन्क्लेव डेवपलमेंट में लगा है। सर्च ऑपरेशन से पता चला है कि इस समूह ने एयरपोर्ट प्लाजा में एक रियल-एस्टेट परियोजना को संभाला था। खाते की पुस्तकों में 1 लाख का लेनदेन दर्शाया था जबकि परियोजना से संबंधित बैलेंस शीट में 133 करोड़ रु के लेनदेन का पता चला। इस प्रकार अब तक 25 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला है।