उन्होंने कहा कि यह संस्थान और भी आधुनिक तरीके से राम सेतु की सटीक आयु का पता लगाएगी। फिलहाल अब तक किसी भी चीज की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग ही एकमात्र तरकीब थी। जबकि इस नए शोध में रेडियो मैट्रिक और थर्मो तकनीक के जरिये इसकी आयु का पता लगा जाएगा। फिलहाल देश में समुद्र के भीतर शोध में एनआइओ की महारत है।

जानकारों की माने तो इस शोध से राम सेतु से जुड़ी सारी सटीक जानकारी सामने आएगी। यानी यह कब बना था। इसे बनाने के लिए पत्थरों की कैसे श्रृंखला बनाई गई थी। इसके साथ ही रामायण में हुए जिक्र के आधार पर राम सेतु के आसपास की उस समय मौजूद बस्तियों का भी पता लगाया जाएगा। इस शोध में ऐसे समुद्री जहाजों का उपयोग किया जाएगा, जो समुद्र के भीतर 30-40 फीट तक की गहराइयों में जाकर शोध कर सकेंगे।