सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को माना कि शीर्ष अदालत के खिलाफ आलोचनाएं बढ़ना चिंता का विषय है और यह लगातार बढ़ रही हैं।यह अवलोकन हास्य अभिनेता कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचित तनेजा द्वारा सुप्रीम कोर्ट के अवमानना मामलों की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने किया। वहीं तनेजा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि अदालत को इस मामले का संज्ञान क्यों लेना पड़ा? क्योंकि कोर्ट की फाउंडेशन काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि कोर्ट की आलोचना कभी अवमानना नहीं हो सकती है।
वहीं न्यायमूर्ति भूषण ने जवाब दिया कि अदालत उनके सब्मिशन से सहमत है, लेकिन शीर्ष अदालत की आलोचना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बैंच ने रोहतगी से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल वही कहेगा जो वह अभी कह रहा है। रोहतगी ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह अपने मुवक्किल के मामले को अलग से ले और कामरा के मामले के साथ बिल्कुल ना जोड़े।