नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया का उसकी मांद में घुसकर शिकार करने वाली भारतीय क्रिकेट टीम अब अंग्रेजों से लगान वसूलने के लिए तैयार है। लगान इसलिए, क्योंकि दोनों देशों के बीच पिछली सीरीज 2018 में इंग्लैंड में हुई थी, जिसे मेजबान टीम ने 4-1 से जीता था और अब भारतीय टीम पांच फरवरी से शुरू होने वाली चार टेस्ट मैचों की घरेलू सीरीज में इंग्लैंड से उस हार का बदला लेने के इरादे से उतरेगी।
भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती इंग्लैंड के कप्तान जो रूट पर लगाम कसने की होगी, क्योंकि एक बार यदि उनके बल्ले से रन निकलना शुरू हो जाते हैं तो फिर विकेट का बर्ताव कैसा भी हो या किसी भी स्तर की गेंदबाजी क्यों ना हो, रूट को रोकना असंभव हो जाता है। वैसे भी रूट ने श्रीलंका दौरे पर अपनी खोई हुई फॉर्म वापस पा ली है, जो कि भारत के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
कप्तान के रूप में सफल : 30 साल के रूट की गिनती इंग्लैंड के सबसे सफल बल्लेबाजों में होती है और वह मौजूदा टीम के सबसे अनुभवी बल्लेबाज हैं। साथ ही वह इंग्लैंड के बल्लेबाजी क्रम की धुरी हैं। हालांकि, रूट के लिए साल 2020 एक कप्तान के रूप में तो बेहद सफल साबित हुआ, लेकिन एक बल्लेबाज के रूप में उन्होंने निराश किया। कोरोना काल से पहले की इंग्लैंड की आखिरी सीरीज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में थी, जिसे इंग्लैंड ने 3-1 से जीता था। हालांकि, चार मैचों की इस सीरीज में रूट ने सात पारियों में करीब 45 की औसत से 317 रन बनाए। इस दौरान वह कोई शतक तो नहीं जमा सके, लेकिन उनके बल्ले से तीन अर्धशतक निकले। इसके बाद इंग्लैंड को श्रीलंका का दौरा करना था, लेकिन कोरोना की वजह से इसे टाल दिया गया।
दो टेस्ट सीरीज में शांत रहा था बल्ला : कोरोना काल के दौरान जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी हुई तो इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज की मेजबानी की। तीन टेस्ट की इस सीरीज को इंग्लैंड ने 2-1 से जीता, लेकिन रूट चार पारियों में करीब 43 की औसत से सिर्फ 130 रन बना सके, जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 68 रन था। इसके बाद इंग्लैंड ने अपने घर में पाकिस्तान को तीन टेस्ट की सीरीज में 1-0 से हराया, लेकिन रूट दो पारियों में सिर्फ 42 रन ही बना सके। जाहिर है इन दोनों सीरीज में रूट का बल्ला शांत रहा।
भारत के खिलाफ बेहतर रिकॉर्ड : रूट अब तक 99 टेस्ट मैच खेल चुके हैं और भारत के खिलाफ सीरीज का पहला टेस्ट उनके करियर का 100वां टेस्ट होगा। ऐसे में रूट और उनकी टीम इस टेस्ट को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी। संयोग से रूट ने अपना टेस्ट पदार्पण भी भारत के खिलाफ दिसंबर 2012 में नागपुर टेस्ट के जरिये किया था। रूट के ओवरऑल करियर की तुलना में भारत के खिलाफ उनका टेस्ट रिकॉर्ड बेहतर नजर आता है। भारत के खिलाफ रूट ने जो 16 टेस्ट खेले में उनमें उन्होंने करीब 57 की औसत से रन बनाए हैं, जबकि उनकी ओवरऑल टेस्ट औसत 50 से भी कम है। हालांकि, भारत में खेलते हुए उनकी औसत 53 के आसपास की है। ऐसे में रूट को हल्के में लेना भारतीय टीम के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।